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छठा व्युत्क्रान्तिपद ]
गोयमा! नेरइया नो नेरइएहिंतो उववजंति, तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, मणुस्सेहितो उववजंति, नो देवेहिंतो उववजंति ।
[६३९-१ प्र.] भगवन् ! नैरयिक कहाँ से उत्पन्न होते हैं? क्या (वे) नैरयिकों में से उत्पन्न होते हैं ? तिर्यग्योनिकों में से उत्पन्न होते हैं ? मनुष्यों में से उत्पन्न होते हैं? (अथवा) देवों में से उत्पन्न होते हैं ?
[६३९-१ उ.] गौतम! नैरयिक, नैरयिकों में से उत्पन्न नहीं होते, (वे) तिर्यच्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, (तथा) मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं, (किन्तु) देवों में से उत्पन्न नहीं होते।
[२] जदि तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं एगिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ? बेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? तेइंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ? चउरिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ? पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ?
गोयमा! नो एगिदिय० नो बेंदिय० नो तेइंदिय० नो चउरिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति।
[६३९-२ प्र.] भगवन् ! यदि (नैरयिक) तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या (वे) एकेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, द्वीन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, त्रीन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, चतुरिन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं, अथवा पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
[६३९-२ उ.] गौतम! (वे) न तो एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से, न द्वीन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से, न ही त्रीन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से और न चतुरिन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से उत्पन्न होते है किन्तु पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं। __[३] जति पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ? थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ? खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?
गोयमा!जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजंति, थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजंति, खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजंति। ___ [६३९-३ प्र.] भगवन् ! यदि (नैरयिक) पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो क्या वे जलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? स्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं; (अथवा) खेचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ?
_[६३९-३ उ.] गौतम! (वे नैरयिक) जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं, स्थलचरपंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं और खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों से भी उत्पन्न होते हैं।