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________________ छठा व्युत्क्रान्तिपद ] [४७५ [५९७ उ.] गौतम! उनका उपपातविरह काल जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट संख्यात मास तक का है। ५९८. पाणयदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा। [५९८ प्र.] भगवन् ! प्राणतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? । [५९८ उ.] गौतम ! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात मास तक उपपात से विरहित कहे हैं। ५९९. आरणदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेजा वासा। [५९९ प्र.] भगवन् ! आरणदेवों का उपपातविरह कितने काल का कहा गया है ? [५९९ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात वर्ष (उपपातविरहित रहते हैं।) ६००. अच्चुयदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा वासा। [६०० प्र.] भगवन् ! अच्युतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [६०० उ.] गौतम! (उनका उपपातविरह) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात वर्ष तक रहता है। ६०१. हेट्ठिमगेवेजाणं पुच्छा। गोयमा! जहणेणं एगं समयं, उक्कासेणं, संखेन्जाइं वाससताई। [६०१ प्र.] भगवन् ! अधस्तन ग्रैवेयक देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [६०१ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात सौ वर्ष तक (उपपात से विरहित कहे हैं।) ६०२. मज्झिमगेवेज्जाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साई। [६०२ प्र.] भगवन्! मध्यम ग्रैवेयकदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ? [६०२ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट संख्यात हजार वर्ष तक (उपपातविरहित कहे हैं)। ६०३. उवरिमगेवेन्जगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखिज्जाई वाससतसहस्साई। [६०३ प्र.] भगवन् ! ऊपरी ग्रैवेयक देवों का उपपातविरह कितने काल तक का कहा गया है ?
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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