________________
४७४]
[प्रज्ञापना सूत्र
[५९१ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट नौ रात्रि दिन और बीस मुहूर्त तक (उपपातविरहित कहे हैं।)
५९२. माहिंददेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस राइंदियाईं दस मुहुत्ता।
[५९२ प्र.] भगवन् ! माहेन्द्र देवों का उपपातविरहितकाल कितना कहा गया है ? __ [५९२ उ.] गौतम! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट बारह रात्रिदिन और दस मुहूर्त का है।
५९३. बंभलोए देवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अद्धतेवीसं रातिदियाई। [५९३ प्र.] भगवन् ! ब्रह्मलोक में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?
[५९३ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट साढ़े बाईस रात्रिदिन तक (उपपातविरहित रहते हैं।)
५९४. लंतगदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं पणतालीसं रातिंदियाई। [५९४ प्र.] भगवन् ! लान्तक देवों का उपपातविरह कितने काल तक का कहा गया है ?
[५९४ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट पैंतालीस रात्रिदिन तक (उपपात से रहित कहे हैं।)
५९५. महासुक्कदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असीतिं रातिंदियाई। . [५९५ प्र.] भगवन् ! महाशुक्र देवों का उपपातविरह कितने काल का कहा गया है ?
[५९५ उ.] गौतम! (उनका उपपातविरहकाल) जघन्य एक समय का तथा उत्कृष्ट अस्सी रात्रिदिन तक का है।
५९६. सहस्सारदेवाणं पुच्छा। जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं रातिदियसतं। [५९६ प्र.] गोयमा! सहस्रार देवों का (उपपातविरहकाल कितना कहा गया है) ?
[५९६ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक का तथा उत्कृष्ट सौ रात्रिदिन का (उनका उपपातविरह काल कहा गया है।)
५९७. आयणदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहेण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा। [५९७ प्र.] भगवन् ! आनतदेव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?