________________
छठा व्युत्क्रान्तिपद ]
[४७३ [५८५ उ.] गौतम! जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे हैं।)
५८६. गब्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। [५८६ प्र.] भगवन् ! गर्भज मनुष्य कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?
[५८६ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट बारह मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे हैं।)
५८७. वाणमंतराणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता । [५८७ प्र.] भगवन् ! वाणव्यन्तर देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?
[५८७ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीय मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे गए हैं।)
.५८८. जोइसियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [५८८ प्र.] भगवन् ! ज्योतिष्क देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?
[५८८ उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक तथा उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात विरहित कहे हैं।)
५८९. सोहम्मे कप्पे देवा णं भंते! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [५८९ प्र.] भगवन् ! सौधर्मकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे हैं ? [५८९ उ.] गौतम! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे हैं।) ५९०. ईसाणे कप्पे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहणणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता। [५९० प्र.] गौतम! ईशानकल्प में देव कितने काल तक उपपात से विरहित कहे गए हैं ?
[५९० उ.] गौतम! (वे) जघन्य एक समय तक और उत्कृष्ट चौबीस मुहूर्त तक (उपपात से विरहित कहे गए हैं।)
५९१. सणंकुमारदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं नव रातिंदियाई वीसा य मुहुत्ता। [५९१ प्र.] भगवन् ! सनत्कुमार देवों का उपपातविरहकाल कितना कहा गया हैं ? .