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[प्रज्ञापना सूत्र अन्तर्मुहूर्त कम पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्ध पल्योपम की है।
४०१. [१] गहविमाणे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं। [४०१-१ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [४०१-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्यापम के चौथाई भाग की है और उत्कृष्ट एक पल्योपम की है। [२] गहविमाणे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं।
[४०१-२ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ?
[४०१-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] गहविमाणे पज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं। [४०१-३ प्र.] भगवन्! ग्रहविमान में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
[४०१-३ उ.] गौतम! (उनकी) जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की है।
४०२. [१] गहविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। [४०२-१ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४०२-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम के चतुर्थभाग की और उत्कृष्ट अर्द्धपल्योपम की है। [२] गहविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। [४०२-२ प्र.] भगवन्! ग्रहविमान में कितने काल की स्थिति अपर्याप्त देवियों की कही है ? [४०२-२] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पन्जत्तियाणं गहविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुहत्तूणं। [४०२-३ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में पर्याप्तक देवियों की कितने काल तक की स्थिति कही
__[४०२-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम अर्द्धपल्योपम की है।