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________________ ३५२] [प्रज्ञापना सूत्र अन्तर्मुहूर्त कम पांच सौ वर्ष अधिक अर्द्ध पल्योपम की है। ४०१. [१] गहविमाणे देवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं। [४०१-१ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [४०१-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्यापम के चौथाई भाग की है और उत्कृष्ट एक पल्योपम की है। [२] गहविमाणे अपज्जत्तदेवाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [४०१-२ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४०१-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] गहविमाणे पज्जत्तदेवाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहत्तूणं, उक्कोसेणं पलिओवमं अंतोमुहत्तूणं। [४०१-३ प्र.] भगवन्! ग्रहविमान में पर्याप्तक देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है? [४०१-३ उ.] गौतम! (उनकी) जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक पल्योपम की है। ४०२. [१] गहविमाणे देवीणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। [४०२-१ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [४०२-१ उ.] गौतम! जघन्य पल्योपम के चतुर्थभाग की और उत्कृष्ट अर्द्धपल्योपम की है। [२] गहविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। [४०२-२ प्र.] भगवन्! ग्रहविमान में कितने काल की स्थिति अपर्याप्त देवियों की कही है ? [४०२-२] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पन्जत्तियाणं गहविमाणे देवीणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तूणं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं अंतोमुहत्तूणं। [४०२-३ प्र.] भगवन् ! ग्रहविमान में पर्याप्तक देवियों की कितने काल तक की स्थिति कही __[४०२-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम के चतुर्थ भाग की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम अर्द्धपल्योपम की है।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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