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________________ ३२६] [प्रज्ञापना सूत्र [३४९-३ प्र.] भगवन्! पर्याप्त नागकुमारों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [३४९-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम देशोन दो पल्योपम की है। ३५०. [१] नागकुमारीणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणं पलिओवमं । [३५०-१ प्र.] भगवन् ! नागकुमार देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [३५०-१ उ.] गौतम? जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम की है। [२] अपज्जत्तियाणं णागकुमारीणं भंते! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेण वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [३५०-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्त नागकुमार देवियों की स्थिति कितने काल तक की कहीं गई है? [३५०-२ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तियाणं णागकुमारीणं भंते! देवीणं केवतियं काल ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं देसूणं पलिओवमं अंतोमुहुत्तूणाई। [३५०-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त नागकुमार देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [३५०-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम में अन्तर्मुहूर्त कम की है। ३५१. [१] सुवण्णकुमाराणं भंते! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं दो पलिओवमाई देसूणाई। [३५१-१ प्र.] भगवन्! सुपर्ण (सुवर्ण) कुमार देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [३५१-१ उ.] गौतम! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की है। [२] अपज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। [३५१-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्तक सुपर्णकुमार देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है? [३५१-२ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तियाणं पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं दो पलिओवमाई देसूणाई अंतोमुहुत्तूणाई।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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