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________________ ३१८] [प्रज्ञापना सूत्र [३३६-२ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की कई गई है। [३] पज्जत्तयरयणप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं। [३३६-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक-रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३३६-३] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम एक सागरोपम की कही गई है। ३३७. [१] सक्करप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं एगं सागरोवमं, उक्कोसेणं तिणि सागरोवमाइं। [३३७-१ प्र.] भगवन् ! शर्कराप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की कितने काल की स्थिति कही गई है ? [३३७-१ उ.] गौतम! (उनकी स्थिति) जघन्य सागरोपम की और उत्कृष्ट तीन सागरोपम की कही गई है। [२] अपज्जत्तयसक्करप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वि अंतोमुहत्तं । [३३७-२ प्र.] भगवन्! अपर्याप्त शर्कराप्रभापृथ्वी के नारकों की कितने काल की स्थिति कही गई है? [३३७-२] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तयसक्करप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमं अंतोमुहूत्तूणं, उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। [३३७-३ प्र.] भगवन्! पर्याप्तक- शर्कराप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३३७-३] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम एक सागरोपम की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम तीन सागरोपम की (कही गई) है। ३३८. [१] वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं तिणि सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई। [३३८-१ प्र.] भगवन् ! वालुकाप्रभापृथ्वी के नैरयिकों की स्थिति कितने काल की कही गई है? [३३७-१] गौतम! जघन्य तीन सागरोपम की और उत्कृष्ट सात सागरोपम की है। [२] अपज्जत्तयवालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वि अंतोमुहत्तं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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