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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद ] [ ३०९ २०. (उनसे) तीसरी बालुका प्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, २१ . ( उनसे ) माहेन्द्रकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, २२. (उनकी अपेक्षा) सनत्कुमारकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, २३. ( उनसे ) दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, २४. ( उनकी अपेक्षा) सम्मूर्च्छिम मनुष्य असंख्यात गुणे हैं, २५. ( उनसे ) ईशानकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, २६. ईशानकल्प की देवियां (उनसे ) संख्यातगुणी हैं, २७. (उनकी अपेक्षा) सौधर्मकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, २८ ( उनकी अपेक्षा) सौधर्म कल्प की देवियां संख्यातगुणी हैं, २९ . ( उनकी अपेक्षा) सौधर्मकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, ३०. ( उनसे) भवनवासी देवियां संख्यातगुणी हैं, ३१ ( उनसे ) प्रथम रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, ३२. ( उनकी अपेक्षा) खेचर - पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक - पुरुष असंख्यातगुणे हैं, ३३. ( उनसे ) खेचर - पंचेन्द्रियतिर्यचयोनिक स्त्रियाँ असंख्यातगुणी हैं, ३४. ( उनसे) स्थलचर- पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३५ ( उनसे) स्थलचर — पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३६. ( उनकी अपेक्षा) जलचरपंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक पुरुष संख्यातगुणे हैं, ३७. उनसे जलचर - पंचेन्द्रिय-तिर्यचयोनिक स्त्रियां संख्यातगुणी हैं, ३८. (उनसे) वाणव्यन्तर देव संख्यातगुणे हैं, ३९, ( उनकी अपेक्षा) वाणव्यन्तर स्त्रियां सख्यातगुणी हैं, ४०. (उनकी अपेक्षा) ज्योतिष्क - देव संख्यातगुणे हैं, ४१. ( उनकी अपेक्षा) ज्योतिष्क - देवियां संख्यातगुणी हैं, ४२. ( उनसे ) खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ४३. ( उनकी अपेक्षा) स्थलचरपंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक नपुंसक संख्यातगुणे हैं, ४४. ( उनसे) जलचर - पंचेद्रिय तिर्यञ्चयोनिकनपुंसक संख्यातगुणे अधिक हैं, ४५. (उनकी अपेक्षा) चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ४६. ( उनकी अपेक्षा) पंचेन्द्रिय- पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४७. ( उनकी अपेक्षा) द्वीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४८. ( उनकी अपेक्षा) त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ४९. ( उनकी अपेक्षा) पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५०. (उनसे) चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५१. ( उनसे ) त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५२. (उनसे) द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ५३. ( उनकी अपेक्षा) प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिकपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५४. बादर निगोद - पर्याप्तक ( उनसे ) असंख्यातगुणे हैं, ५५. ( उनसे) बादरपृथ्वीकायिक - पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५६. ( उनसे) बादर - अप्कायिक- पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५७. (उनसे) बादर-वायुकायिक- पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ५८. बादर तेजस्कायिक-अपर्याप्तक (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, ५९. प्रत्येकशरीर - बादर - वनस्पतिकायिक- अपर्याप्तक ( उनसे ) असंख्यातगुणे हैं, ६०. (उनसे) बादरनिगोद-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६१. बादर पृथ्वीकायिक-अपर्याप्तक (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, ६२. बादर - अप्कायिक- अपर्याप्तक (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, ६३. (उनकी अपेक्षा) बादर-वायुकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६४ ( उनकी अपेक्षा) सूक्ष्म तेजस्कायिक - अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ६५. (उनकी अपेक्षा) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक- अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६६. ( उनकी अपेक्षा) सूक्ष्म अप्कायिक- अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं ६७. ( उनसे ) सूक्ष्म वायुकायिक, अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ६८. ( उनकी अपेक्षा) सूक्ष्म तेजस्कायिक- पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ६९. ( उनकी
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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