________________
३०८]
[प्रज्ञापना सूत्र असंखेज्जगुणा ६१, बादरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ६२, बादरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेन्जगुणा ६३, सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ६४, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६५, सुहुमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६६, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया ६७, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेन्जगुणा ६८, सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया ६९, सुहुमआउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया ७०, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया ७१, सुहुमणिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ७२, सुहुमणिगोदा पज्जत्तया संखेजगुणा ७३, अभवसद्धिया अणंतगुणा ७४, परिवडितसम्मत्ता' अणंतगुणा ७५, सिद्धा अणंतगणा ७६. बादरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा अणंतगणा ७७. बादरपज्जत्तया विसेसाहिया ७८. बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ७९, बादरअपजत्तया विसेसाहिया ८०, बादरा विसेसाहिया ८१, सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ८२, सुहुमा अपज्जत्तया विसेसाहिया ८३, सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तयसंखेजगुणा ८४, सुहुमपज्जत्तया विसेसाहिया ८५, सुहुमा विसे साहिया ८६, भवसिद्धिया विसेसाहिया ८७, निगोदजीवा विसेसाहिया ८८, वणप्फतिजीवा विसेसाहिया ८९, एगिंदिया विसेसाहिया ९०, तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया ९१, मिच्छाद्दिट्ठी विसेसाहिया ९२, अविरता विसेसाहिया ९३, सकसाई विसेसाहिया ९४, छउमत्था विसेसाहिया ९५, सजोगी विसेसाहिया ९६, संसारत्था विसेसाहिया ९७, सव्वजीवा विसेसाहिया ९८। दारं २७॥
॥ पण्णवणाए भगवईए तइयं बहुवत्तव्वयपयं समत्तं॥ [३३४] हे भगवन् ! अब मैं समस्त जीवों के अल्पबहुत्व का निरूपण करने वाले महादण्डक का वर्णन करूंगा-१. सबसे कम गर्भव्युत्क्रान्तिक (गर्भज) हैं, २. (उनसे) मानुषी (मनुष्यस्त्री) संख्यातगुणी अधिक हैं, ३. (उनकी अपेक्षा) बादर तेजस्कायिक-पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अनुत्तरोपपातिक देव असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा) ऊपरी ग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ६. (उनकी अपेक्षा) मध्यमग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ७. (उनकी अपेक्षा) निचले प्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ८. अच्युत्कल्प-देव (उनसे) संख्यातगुणे हैं, ९. आरणकल्प के देव (उनसे) संख्यातगुणे हैं, १०. (उनसे) प्राणतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, ११. (उनसे) आनतकल्प के देव संख्यातगुणे हैं, १२. (उनकी अपेक्षा) सबसे नीची सप्तम पृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १३. (उनसे) छठी तम:प्रभा पृथ्वी के नैरयिक संख्यातगुणे हैं, १४. (उनकी अपेक्षा) सहस्रारकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १५. (उनकी अपेक्षा) महाशुक्रकल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १६. (उनकी अपेक्षा) पांचवीं धूमप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १७. (उनसे) लान्तककल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १८. (उनको अपेक्षा) चौथी पंकप्रभापृथ्वी के नैरयिक असंख्यातगुणे हैं, १९. (उनसे) ब्रह्मलोककल्प के देव असंख्यातगुणे हैं, १. पाठान्तर—'सम्मत्ता' के स्थान में 'सम्मट्ठिी' पद मिलता है।