SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८४] [प्रज्ञापना सूत्र ३०७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया उड्डलोयतिरियलोए १, अधोलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेजगुणा ३, तेलोक्के असंखेजगुणा, ४, उड्डलोए असंखेन्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६। [३०७] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे थोड़े पृथ्वीकायिक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोकातिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, और ६. (उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ३०८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए १, अधोलोयतिरियलोए विसेसाधिया २, तिरियलोए असंखेजगुणा ३, तेलोक्के असंखेजगुणा ४, उड्डलोए असंखेज्जगुणा ५, अहोलोए विसेसाधिया ६। [३०८] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे कम पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और ६. (उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ३०९. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया पज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाधिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्डलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाधिया ६। ___ [३०९] क्षेत्र के अनुसार १. पृथ्वीकायिक पर्याप्तक जीव सबसे अल्प ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और ६. (उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ३१०. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया उड्डलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्डलोए असंखेज्जगुणा ५, अहेलोए विसेसाहिया ६। ___ [३१०] क्षेत्र के अनुसर १. सबसे थोड़े अप्कायिक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनकी अपेक्ष) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. त्रैलोक्य में (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, ५. ऊर्ध्वलोक में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, ६. (और इनसे भी) विशेषाधिक अधोलोक में हैं। ३११. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया अपज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाधिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेन्जगुण ४,
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy