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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [२८५ उड्डलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६। • [३११] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे कम अप्कायिक-अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा भी) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५, (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं और ६. अधोलोक में (उनकी अपेक्षा भी) विशेषाधिक हैं। ३१२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा आउकाइया पज्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाधिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६। [३१२] क्षेत्र की अपेक्षा से १. अप्कायिक-पर्याप्त जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में सबसे कम हैं, २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक से विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ६. और (उनसे भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। ३१३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउकाइया उड्ढलोयतिरियलोए १, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेजगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६। __ [३१३] क्षेत्र की अपेक्षा से १. तेजस्कायिक जीव सबसे कम ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं २. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, ३. (उनसे) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ५. ऊर्ध्वलोक में (उनसे) असंख्यातगुणे हैं, और ६. अधोलोक में (उनसे भी) विशेषाधिक हैं। ३१४. खेताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउकाइया अपज्जत्तगा उड्ढलोयतिरियलोए १. अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाधिया ६। (३१४) क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे अल्प तेजस्कायिक-अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में हैं, २. अधोलोक-तिर्यक्लोक में (उनसे) विशेषाधिक हैं, ३. तिर्यक्लोक में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, ४. त्रैलोक्य में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, ५. ऊर्ध्वलोक में (इनसे) असंख्यातगुणे हैं, ६. और (इनकी अपेक्षा भी) विशेषाधिक अधोलोक में हैं। ३१५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउक्काइया पज्जत्तया उड्ढलोए १, अधेलोएतिरियलोए विसेसाहिया २, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ३, तेलोक्के असंखेन्जगुणा ४, उड्ढलोए असंखेज्जगुणा ५, अधेलोए विसेसाहिया ६।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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