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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [२८३ ४. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. और (उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ३०३. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चरिंदिया जीवा पज्जत्तया उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए संखेन्जगुणा २, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ३, अहेलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा ४, अहोलोए संखेजगुणा ५, तिरियलोए संखेज्जगुणा ६।। । [३०३] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे कम चतुरिन्द्रिय-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. और (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ३०४. खेत्ताणुवातेणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया तेलोक्के १, उड्डलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा २, अधोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा ३, उड्डलोए संखेज्जगुणा ४, अधेलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए असंखेजगुणा ६। [३०४] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे अल्प पंचेन्द्रिय त्रैलोक्य में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ३. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं और ६. (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं। __३०५. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपज्जत्तया तेलोक्के १, उड्डलोयतिरियलोए संखेजगुणा २, अधेलोयतिरियलोए संखेजगुणा ३, उड्डलोए संखेन्जगुणा ४, अधेलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए असंखेज्जगुणा ६। [३०५] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे कम पंचेन्द्रिय-अपर्याप्तक त्रैलोक्य में हैं, २. (उनकी . अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं और ६. (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं। ३०६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया पज्जत्तया उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा २, तेलोक्के संखेज्जगुणा ३, अधोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा ४, अधेलोए संखेन्जगुणा ५, तिरियलोए असंखेन्जगुणा ६। __[३०६] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे थोड़े पंचेन्द्रिय-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनकी अपेक्षा) त्रैलोक्य में संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं ६. और (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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