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________________ २८२] [प्रज्ञापना सूत्र [२९८] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे थोड़े त्रीन्द्रिय ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनकी अपेक्षा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में अंसंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे)अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६, और (उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। २९९. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया अपज्जत्तगा उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा २, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ३, अधेलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा ४, अधोलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए संखेज्जगुणा ६। [२९९] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे कम त्रीन्द्रिय-अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे)अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६, और (उनकी अपेक्षा भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ३००. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तया उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा २, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ३, अधेलोयतिरियलोए असंखेजगुणा ४, अधेलोए संखेजगुणा ५, तिरियलोए संखेज्जगुणा ६। [३००] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे अल्प त्रीन्द्रिय-पर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे)अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६, और (उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ३०१. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चरिं दिया जीवा उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा २, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ३, अधेलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा ४, अधोलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए संखेज्जगुणा ६। __[३०१] क्षेत्र की दृष्टि से १. सबसे अल्प चतुरिन्द्रिय जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनकी अपेक्षा )अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६, और (उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ___३०२. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चरिंदिया जीवा अपज्जत्तगा उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा २, तेलोक्के असंखेज्जगुणा ३, अधेलोयतिरियलोए असंखेन्जगुणा ४, अधेलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए संखेज्जगुणा ६। [३०२] क्षेत्र की अपेक्षा से १. सबसे थोड़े चतुरिन्द्रिय-अपर्याप्तक जीव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणे हैं,
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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