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[ प्रज्ञापना सूत्र
थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा - चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य ।
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[६९ प्र.] वे (पूर्वोक्त) स्थलचर - पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं ? [६९ उ.] स्थलचर-पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार — चतुष्पदस्थलचर-पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक और परिसर्प-स्थलचर-पंचेन्द्रिय - तिर्यञ्चयोनिक |
७०. से किं तं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?
चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया चउव्विहा पण्णत्ता । तं जहा — एगखुरा १ दुखुरा २ गंडीपदा ३ सणप्फदा ४ |
[७० प्र.] वे (पूर्वोक्त) चतुष्पद-स्थलचर- पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक किस प्रकार के हैं
[७० उ.] चतुष्पद-स्थलचर-पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक चार प्रकार के कहे गए ये इस प्रकार हैं – १. एकखुरा (एक खुर वाले), २. द्विखुरा (दो खुर वाले), ३. गण्डीपद ( सुनार की एरण जैसे पैर वाले) और ४. सनखपद (नखसहित पैरों वाले ) ।
७१. से किं तं एगखुरा ?
खुरा वा पण्णत्ता । तं जहा — अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दभा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा आवत्ता, जे यावऽण्णे तहप्पगारा। से त्तं एगखुरा ।
[ ७१ प्र.] वे एकखुरा किस प्रकार के ?
[७१ उ.] एकखुरा अनेक प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं, जैसे कि अश्व, अश्वतर, (खच्चर), घोटक (घोड़ा), गधा (गर्दभ), गोरक्षर, कन्दलक, श्रीकन्दलक और आवर्त (आवर्त्तक) इसी प्रकार के अन्य जितने भी प्राणी हैं, ( उन्हें एकखुर-स्थलचर- पंचेन्द्रियतिर्यञ्च के अन्तर्गत समझना चाहिए।) यह हुआ एकखुरों का प्ररूपण ।
७२. से किं तं दुखुरा ?
दुखुरा अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा — उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसुया महिसा मिया संवरा वराहा अय-एलग-रुरु-सरभ- चमर-कुरंग-गोकण्णमादी । से त्तं दुखुरा ।
[७२ प्र.] वे द्विखुर किस प्रकार के कहे गए हैं ?
[७२ उ.] द्विखुर (दो खुर वाले) अनेक प्रकार के कहे गए हैं। जैसे कि उष्ट्र (ऊँट), गाय (गौ और वृषभ आदि), गवय (नील गाय), रोज, पशुक, महिष (भैंस - भैंसा), मृग, सांभर, वराह (सूअर ), अज (बकरा-बकरी), एलक ( बकरा या भेड़ा), रुरु, सरभ, चमर ( चमरी गाय), कुरंग, गोकर्ण आदि । यह दो खुर वालों की प्ररूपणा हुई ।
से किं तं गंडीपया ?
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