SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [प्रज्ञापना सूत्र ५०. से किं तं ओसहीओ ? ओसहीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ । तं जहासाली १ वीही २ गोधूम ३ 'जवजवा ४ कल ५ मसूल ६ तिल ७ मुग्गा ८। बास ९ निप्फाव १० कुलत्थ ११ अलिसंद १२ सतीण १३ पलिमंथा१४ ॥४२॥ अयसी १५ कुसुंभ १६ कोद्दव १७ कंगू . १८ रालग १९ वरसामग २० कोदूसा २१। सण २२ सरिसव २३ मूलग २४ बीय २५ जा यावऽण्णा तहपगारा॥४३॥ [५० प्र.] वे ओषधियाँ किस प्रकार की होती हैं ? [५० उ.] ओषधियां अनेक प्रकार की कही गई हैं। वे इस प्रकार हैं [गाथार्थ-] १. शाली (धान), २. व्रीहि (चावल), ३. गोधूम (गेहूँ), ४. जौ (यवयव), ५. कलाय, ६. मसूर , ७. तिल, ८. मूंग, ९. माष (उड़द), १०. निष्पाव, ११. कुलत्थ (कुलथ), १२. अलिसन्द, १३. सतीण, १४. पलिमन्थ॥ ४२ ॥ १५. अलसी, १६. कुसुम्भ, १७. कोदों (कोद्रव), १८. कंगू, १९. राल (सलक), २०. वरश्यामाक (सांवा धान) और २१. कोदूस (कोदंश), २२. शणसन, २३. सरसों (दाने), २४. मूलक बीज; ये और इसी प्रकार की अन्य जो भी (वनस्पतियां) हैं, (उन्हें भी ओषधियों में गिनना चाहिए।) ॥ ४३ ॥ यह हुआ ओषधियों का वर्णन। ५१. से किं तं जलरुहा? जलरुहा अणेगविहा पण्णत्ता। तं जहा -उदए अवए पणए सेवाले कलंबुया हढे कसेरुया कच्छा भाणी उप्पले पउमे कुमुदे नलिणे सुभए सोगंधिए पोंडरीए महापोंडरीए सयपत्ते सहस्सपत्ते कल्हारे कोकणदे अरविंदे तामरसे भिसे भिसमुणाले पोखले पोक्खलत्थिभए, जे यावऽण्णे तहप्पगारा। से त्तं जलरुहा। [५१ प्र.] वे जलरुह (रूप वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? [५१ उ.] जल में उत्पन्न होने वाली (जलरुह) वनस्पतियां अनेक प्रकार की कहीं गई हैं। वे इस प्रकार हैं-उदक, अवक, पनक, शैवाल, कलम्बुका, हढ (हठ), कसेरुका (कसेरू), कच्छा, भाणी, उत्पल, पद्म, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगन्धिक, पुण्डरीक, महापुण्डरीक, शतपत्र, सहस्रपत्र, कल्हार, कोकनद, अरविन्द, तामरस कमल, भिस, भिसमृणाल, पुष्कर और पुष्कारास्तिभज (पुष्करास्तिभुक्) । इसी प्रकार की और भी (जल में उत्पन्न होने वाली जो वनस्पतियां हैं, उन्हें जलरुह के अन्तर्गत समझना चाहिए।) यह हुआ, जलरुहों का निरूपण। पाठान्तर -१ जव जवजवा। २ वरट्ट साम। ३ पोक्खलत्थिभुए।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy