SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथम प्रज्ञापनापद ] • भुयरुक्ख हिंगुरुक्खे लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे । पूयफली खज्जूरी बोधव्वा नालिएरी य ॥ ३८ ॥ ये यावणे तहप्पगारा । से त्तं वलाया । [४८ प्र.] वे वलय ( जाति की वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? [४८ उ.] वलय-वनस्पतियां अनेक प्रकार की कही गई हैं। वे इस प्रकार हैं सार [गाथार्थ - ] ताल (ताड़), तमाल, तर्कली (तक्कली), तेतली ( तोतली), सार (शाली), कल्याण (सारकत्राण), सरल जावती (जावित्री), केतकी (केवड़ा), कदली (केला) और धर्मवृक्ष (चर्मवृक्ष) ॥ ३७ ॥ भुजवृक्ष (मुचवृक्ष), हिंगुवृक्ष और (जो) लवंगवृक्ष होता है, (इसे वलय) समझना चाहिए। पूगफली (सुपारी), खजूर और नालिकेरी ( नारियल ), ( इन्हें भी वलय) समझना चाहिए ॥ ३८ ॥ से किं तं हरिया ? ४९. हरिया अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा— अज्जोरुह वोडाणे हरितग तह तंदुलेज्जग तणे य । वत्थुल पारग' मज्जार पाइ बिल्ली य पालक्का ॥ ३९ ॥ दगपिप्पली य दव्वी सोत्थिसाए तहेव मंडुक्की । मूलग सरिसव अंबिलसाए य जियंतए चेव ॥ ४० ॥ तुलसी कह उराले फणिज्जए अज्जए व भूयणए । चोरग दमणग मरुयग सयपुष्फिदीवरे य तहा ॥ ४१ ॥ ५९ ये यावणे तहप्पगारा । ते सं हरिया । [४९ प्र.] वे (पूर्वोक्त) हरित (वनस्पतियां) किस प्रकार की हैं ? [४९ उ.] हरित वनस्पतियाँ अनेक प्रकार की कही गई हैं । वे इस प्रकार हैं [ गाथार्थ – ] अद्यांवरोह, व्युदान हरितक तथा तान्दुलेयक (चन्दलिया), तृण, वस्तुल (बथुआ), पारक (पर्वक), मार्जार, पाती बिल्वी और पाल्यक (पालक) ॥ ३९ ॥ दकपिप्पली और दर्वी, स्वस्तिक शक (सौत्रिक शाक), तथा माण्डुकी, मूलक सर्षप (सरसों का साग), अम्लशाक ( अम्ल साकेत) और जीवान्तक॥ ४० ॥ तुलसी, कृष्ण, उदार, फानेयक और आर्यक (आर्षक), भुजनक (भूसनक) चोरक (वारक), दमनक, मरुचक, शतपुष्पी तथा इन्दीवर ॥ ४१ ॥ अन्य जो भी इस प्रकार की वनस्पतियाँ हैं, (वे सब हरित ( हरी या लिलौती) के अन्तर्गत समझनी चाहिए। यह हुई उन हरित (वनस्पतियों की ) प्ररूपणा । पाठान्तर—- १. पोरग मज्जार याइ ।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy