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[ प्रज्ञापना सूत्र
अग्निकायिकों का, अग्नि वायु के सम्पर्क से बढ़ती है, इसलिए उसके बाद वायुकायिकों का और वायु दूरस्थ लतादि के कम्पन से उपलक्षित होता है, इसलिए तत्पश्चात् वनस्पतिकायिकों का ग्रहण किया गया । '
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पृथ्वीकायिक जीवों की प्रज्ञापना
२०. से किं तं पुढविकाइया ?
पुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा -- सुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य । [२० प्र.] वे पृथ्वीकायिक जीव कौन-से हैं ?
[२० उ.] पृथ्वीकायिक (मुख्यतया) दो प्रकार के कहे गए हैं— सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक ।
२१. से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?
सुहुमपुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता । तं जहा — पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाय । से तं सुहुमपुढविकाइया ।
[२१ प्र.] सूक्ष्मपृथ्वीकायिक क्या हैं ?
[२१ उ.] सूक्ष्मपृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार — पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक । यह सूक्ष्मपृथ्वीकायिक का वर्णन हुआ।
य।
२२. से किं तं बादरपुढविकाइया ?
बादरपुढविकाइया दुविहा पन्नत्ता । तं जहा - सण्हबादरपुढविकाइया य खरबादरपुढविकाइया
[२२ प्र.] बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ?
[२२ उ.] बादरपृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार — श्लक्ष्ण (चिकने ) बादरपृथ्वीकायिक और खरबादरपृथ्वीकायिक ।
२३. से किं तं सण्हबादरपुढविकाइया ?
सहबादरपुढविकाइया सत्तविहा पन्नत्ता । तं जहा - किण्हमत्तिया १ नीलमत्तिया २ लोहियमत्तिया ३ हालिद्दमत्तिया ४ सुक्विल्लमत्तिया ५ पंडुमत्तिया ६ पणगमत्तिया ७ । से तं सण्हबादरपुढविकाइया ।
[२३ प्र.] श्लक्ष्ण बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ?
[२३ उ.] श्लक्ष्ण बादरपृथ्वीकायिक सात प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार (१) कृष्णमृत्तिका (काली मिट्टी), (२) नीलमृत्तिका (नीले रंग की मिट्टी), लोहितमृत्तिका ( लाल रंग की १. प्रज्ञापना. मलय. वृत्ति, पत्रांक २४
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