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[ प्रज्ञापना सूत्र
(६) उष्ण (गर्म) स्पर्श के रूप में परिणत, (७) स्निग्ध (चिकने) स्पर्श के रूप में परिणत और (८) रूक्ष (रूखे) स्पर्श के रूप में परिणत ।
[५] जे संठाणपरिणता ते पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा — परिमंडलसंठाणपरिणता १ वट्टसंठाणपरिणता २ तंससंठाणपरिणता ३ चउरंससंठाणपरिणता ४ आयतसंठाणपरिणता ५। २५ ।
[८-५] जो संस्थानपरिणत होते हैं, वे पांच प्रकार कहे गए हैं। वे इस प्रकार - (१) परिमण्डल - संस्थान के रूप में परिणत, (२) वृत्त (गोल) चूड़ी के संस्थान के रूप में परिणत, (३) त्र्यस्र (तिकोन) संस्थान के रूप में परिणत, (४) चतुरस्र ( चोकोन) संस्थान के रूप में परिणत और (५) आयत ( लम्बे ) संस्थान (आकार) के रूप में परिणत ॥ २५ ॥
९. [ १ ] जे वण्णओ कालवण्णपरिणता से गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कडुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफासपरिणता वि सीयफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तंससंठाणपरिणता वि चउरंससंठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० ।
[९-१] जो वर्ण से काले वर्ण के रूप में परिणत हैं, उनमें से कोई गन्ध की अपेक्षा से सुरभि - गन्ध - परिणत भी होते हैं, दुरभिगन्ध - परिणत भी । रस से कोई तिक्तरस - परिणत भी होते हैं, कोई कटुरसपरिणत भी, इसी प्रकार कषायरस - परिणत भी, अम्लरस - परिणत भी और मधुररसं परिणत भी होते हैं । उनमें से कोई स्पर्श से कर्कशस्पर्शपरिणत भी होते हैं, कोई मृदुस्पर्श- परिणत भी एवं गुरुस्पर्श- परिणत भी, लघुस्पर्श- परिणत भी, शीतस्पर्श - परिणत भी, उष्णस्पर्श- परिणत भी, स्निग्ध स्पर्श - परिणत भी होते हैं और रूक्षस्पर्श - परिणत भी । वे संस्थान से ( आकार से ) परिमण्डलसंस्थान - परिणत भी होते हैं, वृत्तसंस्थान - परिणत भी, त्र्यस्र (त्रिकोण) संस्थान - परिणत भी, चतुरस्र ( चतुष्कोण) संस्थान - परिणत भी और आयतसंस्थान - परिणत भी होते हैं ॥ २० ॥
[ २ ] जे वण्णओ नीलवण्णपरिणता ते गंधओ सुब्भिगंधपरिणता वि दुब्भिगंधपरिणता वि, रसओ तित्तरसपरिणता वि कटुयरसपरिणता वि कसायरसपरिणता वि अंबिलरसपरिणता वि महुररसपरिणता वि, फासओ कक्खडफासपरिणता वि मउयफासपरिणता वि गरुयफासपरिणता वि लहुयफास - परिणता वि सीतफासपरिणता वि उसिणफासपरिणता वि निद्धफासपरिणता वि लक्खफासपरिणता वि, संठाणओ परिमंडलसंठाणपरिणता वि वट्टसंठाणपरिणता वि तं संठाणपरिणता वि चउरंस्संठाणपरिणता वि आयतसंठाणपरिणता वि २० ।
[९-२] जो वर्ण से नीले वर्ण में परिणत होते हैं, उनमें से कोई गन्ध की अपेक्षा सुगन्ध- परिणत भी होते हैं और दुर्गन्ध-परिणत भी; रस से तिक्तरस - परिणत भी होते हैं, कटुरस-परिणत भी, कषायरस