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विषय - परिचय]
चौतीसवें प्रविचारणा (या परिचारणा) पद में अनन्तरागत आहारक, आहारविषयक आभोग-अनाभोग, आहाररूप से गृहीत, पुद्गलों की अज्ञानता, अध्यवसायकथन, सम्यक्त्वप्राप्ति तथा कायस्पर्श, रूप, शब्द और मन से सम्बन्धित प्रविचारणा (विषयभोग-परिचारणा) एवं उनके अल्पबहुत्व का विचार
0 पैंतीसवें वेदनापद में—शीत, उष्ण, शीतोष्ण, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, शारीरिक, मानसिक, शारीरिक
मानसिक साता, असाता, साता-असाता, दुःखा, सुखा, अदुःखसुखा, आभ्युपगमिकी, औपक्रमिकी, निदा (चित्त की संलग्नता) एवं अनिदा नामक वेदनाओं की अपेक्षा से जीवों का विचार किया
गया है। 9 छत्तीसवें समुद्घातपद में वेदना, कषाय, मरण, वैक्रिय, तैजस, आहारक और केवलि समुद्घात
की अपेक्षा से जीवों की विचारणा की गई है। इसमें केवलिसमुद्घात का विस्तृत वर्णन है।