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[जीवाजीवाभिगमसूत्र २. सूर्यवर और सूर्यमहावर, ३. सूर्यवरभद्र और सूर्यवरमहाभद्र, ४. सूर्यवरवर और सूर्यवरमहावर, ५. सूर्यवरावभासभद्र और सूर्यवरावभासमहाभद्र, ६. सूर्यवरावभासवर और सूर्यवरावभासमहावर नाम के देव रहते हैं।
क्षोदवरद्वीप से लेकर स्वयंभूरमण तक के द्वीप और समुद्रों में वापिकाएं यावत् बिलपंक्तियां इक्षुरस जैसे जल से भरी हुई हैं और जितने भी पर्वत हैं, वे सब सर्वात्मना वज्रमय हैं।
१८५. (ई) देवदीवे दीवे दो देवा महिड्डिया देवभव-देवमहाभवा एत्थ०। देवोदे समुद्दे देववर-देवमहावरा एत्थ० जाव सयंभूरमाणे दीवे सयंभूरमणभव-सयंभूरमणमहाभवा एत्थ दो देवा महिड्डिया।
सयंभूरमणं णं दीवं सयंभूरमणोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए जाव असंखेजाइं जोयणसयसहस्साइं परिक्खेवेणं जाव अट्ठो ?
गोयमा ! सयंभूरमणोदए उदए अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवण्णाभे पगईए उदगरसेणं पण्णत्ते । सयंभूरमणवर-सयंभूरमणमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया सेसं तहेव असंखेज्जाओ तारागण-कोडिकोडीओ सोभेसु वा।
१८५. (ई) देवद्वीप नामक द्वीप में दो महर्द्धिक देव रहते हैं -देवभव और देवमहाभव । देवोदसमुद्र में दो महर्द्धिक देव हैं -देववर और देवमहावर यावत् स्वयंभूरमणद्वीप में दो महर्द्धिक देव रहते हैं।स्वयंभूरमणभव और स्वयंभूरमणमहाभव।
स्वयंभूरमणद्वीप को सब ओर से घेरे हुए स्वयंभूरमणसमुद्र अवस्थित है, जो गोल है और वलयाकार रहा हुआ है यावत् असंख्यात लाख योजन उसकी परिधि है यावत् वह स्वयंभूरमणसमुद्र क्यों कहा जाता है ?
गौतम ! स्वयंभूरमणसमुद्र का पानी स्वच्छ है, पथ्य है, जात्य-निर्मल है, हल्का है, स्फटिकमणि की कान्ति जैसा है और स्वाभाविक जल के रस से परिपूर्ण है । यहां स्वयंभूरमणवर और स्वयंभूरमणमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं। शेष कथन पूर्ववत् कहना चाहिए। यहां असंख्यात कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे, होते हैं और होंगे।
विवेचन--द्वीप-समुद्रों का क्रम सम्बन्धी वर्णन इस प्रकार है-पहला द्वीप जम्बूद्वीप है। इसको घेरे हुए लवणसमुद्र है । लवणसमुद्र को घेरे हुए धातकीखण्ड है। धातकीखण्ड को घेरे हुए कालोदसमुद्र है। कालोदसमुद्र को सब ओर से घेरे पुष्करवरद्वीप है। पुष्करवरद्वीप को घेरे हुए वरूणसमुद्र है। वरूणसमुद्र को घेरे हुए क्षीरवरद्वीप है । क्षीरवरद्वीप को घेरे हुए घृतोदसमुद्र है। घृतोदसमुद्र को घेरे हुए क्षोदवरद्वीप है । क्षोदवरद्वीप को घेरे हुए क्षोदोदकसमुद्र है । क्षोदोदकसमुद्र को घेरे हुए नंदीश्वरद्वीप है। नंदीश्वरद्वीप के बाद नंदीश्वरोदसमुद्र हैं । उसको घेरे हुए अरूण नामक द्वीप है, फिर अरूणोदसमुद्र है, फिर अरूणवरद्वीप, अरूणवरोदसमुद्र, अरूणवराभासद्वीप, और अरूणवरावभाससमुद्र है। इस प्रकार