________________
१५०]
[जीवाजीवाभिगमसूत्र दव्वपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?
गोयमा! सव्वत्थोवा बायरणिओदा पजत्ता दव्वट्ठयाए, बायरणिगोदा अपजत्ता दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, सुहुमणिगोदा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, सुहुमणिगोदा पजत्ता दव्वट्ठयाए संखेजगुणा। सुहुमणिगोदेहितो पजतेहिंतो बायरणिओदजीवा पजत्ता दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, बायरणिओदजीवा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, सुहुमणिओदजीवा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, सुहमणिओदजीवा पजत्ता दव्वट्ठयाए संखेजगुणा।
पएसट्ठयाए सव्वत्थोवा बायरणिगोदजीवा पजत्ता, पएसट्ठयाए बायरणिगोदा अपजत्तगा असंखेजगुणा, सुहुमणिओयजीवा अपजत्तगा पएसट्ठयाए असंखेजगुणा, सुहूमणिओयजीवा पज्जत्ता पएसट्ठयाए संखेजगुणा, सुहुमणिओदजीवेहिंतो पएसट्ठयाए बायरणिगोदा पज्जत्ता पएसट्टयाए अणंतगुणा, बायरणिओया अपज्जत्ता पएसट्टयाए असंखेजगुणा जांव सुहुमणिओदा पज्जत्ता पएसट्ठयासए संखेजगुणा।
दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए-सव्वत्थोवा बायरणिओया पजत्ता दव्वट्ठयाए, बायरणिओदा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा जाव सुहुमणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, सुहुमणिगोदेहितो दव्वट्ठयाए बायरणिगोदजीवा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए अणंतगुणा, सेसा तहेव जाव सुहुमणिओदजीवा पज्जत्तगा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा, सुहुमणिओदजीवेहिं तो पज्जत्तएहिंतो दव्वट्ठयाए बायरणिओयजीवा पजत्तगा पदेसट्ठयाए असंखेजगुणा, सेसा तहेव जाव सुहुमणिओदा पज्जत्ता पएसट्टयाए संखेजगुणा।
से त्तं छव्विहा संसारसमावण्णगा।
२२४. (आ) भगवन् ! इन सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त निगोदों में और सूक्ष्म, बादर पर्याप्त और अपर्याप्त निगोदजीवों में द्रव्ययापेक्षया, प्रदेशापेक्षया और द्रव्य-प्रदेशापेक्षया कौन किससे कम, अधिक, तुल्य और विशेषाधिक है?
गौतम! सब से कम बादरनिगोद पर्याप्त द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद जीव पर्याप्त अनन्तगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद जीव अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद जीव पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया। __ प्रदेशों की अपेक्षा-सबसे थोड़े बादरनिगोदजीव पर्याप्तक, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण, उनसे बादरनिगोद पर्याप्त अनन्तगुण, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोद