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[जीवाजीवाभिगमसूत्र देवाणं भंते! के वइयं कालं ठिई पण्णत्ता? अब्भितरियाए परिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। मज्झिमियाए छ पलिओवमाइं, बाहिरियाए परिसाए पंच पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। देवीणं पुच्छा? अभितरियाए साइरेगाइं पंच पलिओवमाई मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए तिण्णि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। अट्ठो तहेव भाणियव्वो।
१९९ (आ) भगवन् ! ईशानकल्प के देवों के विमान कहां से कहे गये हैं आदि सब कथन सौधर्मकल्प की तरह जानना चाहिए। विशेषता यह है कि वहां ईशान नामक देवेन्द्र देवराज आधिपत्य करता हुआ विचरता है।
भगवन् ! देवेन्द्र देवराज की कितनी पर्षदाएं हैं?
गौतम तीन पर्षदाएं कही गई हैं-समिता, चंडा और जाया। शेष कथन पूर्ववत् कहना चाहिए। विशेषता यह है कि आभ्यन्तर पर्षदा में दस हजारदेव, मध्य में बारह हजार देव और बाह्य पर्षदा में चौदह हजार देव हैं। आभ्यन्तर पर्षदा में नौ सौ, मध्य परिषदा में आठ सौ और बाह्य पर्षदा में सात सौ देवियां हैं।
भगवन् ! ईशानकल्प के देवों की स्थिति कितनी कही गई है
गौतम! आभ्यन्तर पर्षदा के देवों की स्थिति सात पल्योपम, मध्यम पर्षदा के देवों की स्थिति छह पल्योपम और बाह्य पर्षदा के देवों की स्थिति पांच पल्योपम की है।
देवियों की स्थिति की पृच्छा? आभ्यन्तर पर्षदा की देवियों की स्थिति कुछ अधिक पांच पल्योपम, मध्यम पर्षदा की देवियों की स्थिति चार पल्योपम और बाह्य पर्षदा की देवियों की स्थिति तीन पल्योपम की है। तीन प्रकार की पर्षदाओं का अर्थ आदि कथन चमरेन्द्र की तरह कहना चाहिए?
१९९.(इ) सणंकुमाराणं पुच्छा? तहेव ठाणपदगमेणं जाव सणंकुमारस्स तओ परिसाओ समियाइ तहेव। नवरं अभितरियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। बहिरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। अब्भितरियाए परिसाए देवाणं अद्धपंचमाई सागरोवमाइं पंचपलिओवमाई ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाइं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाइं तिण्णि परिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। अट्ठो सो चेव। __एवं माहिंदस्सवि तहेव।तओ परिसाओ, णवरं अभितरियाए परिसाए छ देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, बाहिरियाए दस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। ठिई देवाणं अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाई सत्त य पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए अद्धपचमाइं सागरोवमाइं छच्च पलिओवमाइं, बाहिरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाइं पंच य पलिओवमाई ठिई