SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 495
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४६ ] [जीवाजीवाभिगमसूत्र सिद्धयतणवत्तव्वया। जंबूए णं सुदंसणाए पुरथिमस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं सिद्धायतणं य।। जंबूए णं सुदंसणाए दाहिणिल्लस्स भवणस्स पुरत्थिमेणं दाहिणपुरस्थिमस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णंएगे महं कूडे पण्णत्ते।दाहिणस्स भवणस्स परओ दाहिणपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडिंसगस्स पुरथिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते। जंबूओ पच्चथिमिल्लस्स भवणस्सदाहिणेणंदाहिणपच्चथिमिल्लस्स पासायवडिंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते; तं चेव पमाणं सिद्धायतणं य। जंबूए पच्चत्थिमभवणउत्तरेणं उत्तरपच्चस्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स दाहिणेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च। ___ जंबूए उत्तरस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमस्स पासायवडेंसगस्स पुरथिमेणं एत्थ णं एगे कूडे पण्णत्ते, तं चेव। जंबूए उत्तरभवणस्स पुरथिमेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पण्णत्ते तं चेव पमाणं तहेव सिद्धायतणं। १५२. [३] जम्बूसुदर्शना के पूर्वदिशा के भवन के उत्तर में और उत्तरपूर्व के प्रासादावतंसक के दक्षिण में एक विशाल कूट कहा गया है जो आठ योजन ऊँचा, मूल में बारह योजन चौड़ा, मध्य में आठ योजन चौड़ा ऊपर चार योजन चौड़ा, मूल में कुछ अधिक सैंतीस योजन की परिधि वाला, मध्य में कुछ अधिक पच्चीस योजन की परिधि वाला और ऊपर कुछ अधिक बारह योजन की परिधि वाला-मूल में विस्तृत, मध्य में संक्षिप्त और ऊपर पतला, गोपुच्छ आकार से संस्थित है, सर्वात्मना जाम्बूनद स्वर्णमय है, स्वच्छ है यावत् प्रतिरूप है। वह कूट एक पद्मवरवेदिका और एक वनखंड से चारों और से घिर हुआ है। पद्मवरवेदिका और वनखंड-दोनों का वर्णनक कहना चाहिए। उस कूट के ऊपर बहुसमरमणीय भूमिभाग है आदि पूर्ववत् वर्णन करना चाहिए यावत् वहाँ बहुत से वानव्यन्तर देव और देवियां उठती-बैठती हैं आदि। उस बहुसमरमणीय भूमिभाग के मध्य में एक सिद्धायतन कहा गया है जो एक कोस प्रमाण वाला है-आदि सब सिद्धायतन की वक्तव्यता पूर्ववत् कहनी चाहिए। उन जम्बूसुदर्शना के पूर्वदिशा के भवन से दक्षिण में और दक्षिण-पूर्व के प्रासादावतंसक के उत्तर में एक विशाल कूट है। उसका प्रमाण वही हैं यावत् वहाँ सिद्धायतन है। उस जम्बूसुदर्शना के दक्षिण दिशा के भवन के पूर्व में और दक्षिण-पूर्व के प्रासादावतंसक के पश्चिम में एक विशाल कूट है। इसी तरह दाक्षिणात्य भवन के पश्चिम में और दक्षिण-पश्चिम प्रासादावतंसक के पूर्व में एक विशाल कूट है। उस जम्बूसुदर्शना के पश्चिमी भवन के दक्षिण में और दक्षिण-पश्चिम के प्रासादावतंसक के उत्तर
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy