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________________ जलचरों का वर्णन स्थलचरों का वर्णन खेचर वर्णन गर्भज जलचरों का वर्णन ,, स्थलचरों का वर्णन खेचर वर्णन मनुष्यों का प्रतिपादन देवों का वर्णन भवस्थिति का वर्णन त्रिविधाख्या द्वितीय प्रतिपत्ति तीन प्रकार के संसारसमापनक जीव स्त्रियों का वर्णन स्त्रियों की भवस्थिति का प्रतिपादन तिर्यंचस्त्री आदि की पृथक् पृथक् भवस्थिति मनुष्यस्त्रियों की स्थिति देवस्त्रियों की स्थिति वैमानिक देवस्त्रियों की स्थिति तिर्यंचस्त्री का तद्रूप में अवस्थानकाल मनुष्यस्त्रियों का (स्त्रियों का) अन्तरद्वार " , अल्पबहुत्व स्त्रीवेद की स्थिति पुरुष सम्बन्धी प्रतिपादन पुरुष की कायस्थिति तिर्यंच पुरुषों की स्थिति ११४ ११५ १२० १२१ १२१ १२३ १२८ १३१ १३३ १३७ १३९ १४३ १४५ १४६ १४६ देव " १४७ १४९ १५२ . १५६ १६१ पुरुष का पुरुषरूप में निरन्तर रहने का काल अन्तरद्वार अल्पबहुत्व पुरुषवेद की स्थिति नपुंसक की स्थिति नपुंसकों की कायस्थिति अन्तर नपुंसकों का अल्पबहुत्व नपुंसकवेद की बन्धस्थिति और प्रकार १६४ १६७ १७१ १७३ [३८]
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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