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________________ द्वितीय प्रतिपत्ति: अल्पबहुत्व] हेमवत और एरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे भरत - एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे पूर्वविदेह - पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं । [१४१ (४) भगवन् ! भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवस्त्रियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं। गौतम ! सबसे थोड़ी वैमानिक देवियां, उनसे भवनवासी देवियां असंख्यातगुणी, उनसे वानव्यन्तरदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे ज्योतिष्कदेवियां संख्यातगुणी हैं । (५) हे भगवन् ! तिर्यंचयोनिकी जलचरी, स्थलचरी, खेचरी और कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तद्वीप की मनुष्यस्त्रियां और भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं । गौतम ! सबसे थोड़ी अकर्मभूमि की अन्तद्वीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु - उत्तरकुरु की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे भरत - ऐरवत कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे पूर्वविदेह और पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे वैमानिकदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे भवनवासीदेवियां असंख्यातगुणी, उनसे खेचरतिर्यक्ोनिक की स्त्रियां असंख्यातगुणी, उनसे स्थलचरस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे जलचरस्त्रियां संख्यातगुणी, उनसे वानव्यन्तरदेवियां संख्यातगुणी, उनसे ज्योतिष्कदेवियां संख्यातगुणी हैं । विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में पांच प्रकार से अल्पबहुत्व बताया गया है। पहले प्रकार में तीनों प्रकार की स्त्रियों का सामान्य से अल्पबहुत्व बताया है। दूसरे प्रकार में तीन प्रकार की तिर्यंचस्त्रियों का अल्पबहुत्व है । तीसरे प्रकार में तीन प्रकार की मनुष्यस्त्रियों का अल्पबहुत्व है। चौथे प्रकार में चार प्रकार की देवस्त्रियों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व है और पांचवें प्रकार में सब प्रकार की मिश्र स्त्रियों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व बताया गया है । (१) सामान्य रूप से तीन प्रकार की स्त्रियों में सबसे थोड़ी मनुष्यस्त्रियां हैं, क्योंकि उनका प्रमाण संख्यात कोटाकोटी है। उनसे तिर्यंचस्त्रियां असंख्येयगुण हैं, क्योंकि प्रत्येक द्वीप और प्रत्येक समुद्र में तिर्यंचस्त्रियों
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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