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________________ द्वितीय प्रतिपत्ति : मनुष्य स्त्रियों की स्थिति] [१२१ तिर्यंचस्त्री आदि की पृथक् पृथक् भवस्थिति ४७. [१] तिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं। . जलयर-तिरिक्ख-जोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी। चउप्पद-थलयर-तिरिक्ख-जोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा तिरिक्खजोणित्थीओ। उरगपरिसप्प-थलयर-तिरिक्ख-जोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसं पुव्वकोडी। एवं भुयपरिसप्प-थलयर-तिरिक्ख-जोणित्थीणं। एवं खहयर-तिरिक्खत्थीणं जहन्नेणंअंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेग्जइभागो। [४७] (१) हे भगवन् ! तिर्यक्योनिकस्त्रियों की स्थिति कितने समय की कही गई है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट से तीन पल्योपम की स्थिति कही गई है। भगवन् ! जलचर तिर्यक्योनिकस्त्रियों की स्थिति कितने समय की कही गई है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की स्थिति कही गई है । भगवन् ! चतुष्पद स्थलचरतिर्यस्त्रियों की स्थिति कितनी कही गई है ? गौतम ! जैसे तिर्यंचयोनिक स्त्रियों की (औधिक) स्थिति कही है वैसी जानना। भंते ! उरपरिसर्प स्थलचर तिर्यस्त्रियों की स्थिति कितने समय की कही गई है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि। इसी तरह भुजपरिसर्प स्थलचर स्त्रियों की स्थिति भी समझना। इसी तरह खेचरतिर्यस्त्रियों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पल्योपम का असंख्यातवां भाग है। मनुष्यस्त्रियों की स्थिति [२] मणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! खेत्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई। धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी। कम्मभूमय-मणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! खित्तं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं।धम्मचरणं पडुच्च जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी।। भरहेरवयकम्मभूभग-मणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता?
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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