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________________ ११६] [जीवाजीवाभिगमसूत्र मच्छीओ जाव सुंसुमारीओ। से किं तं थलयरीओ? थलयरीओ दुविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहाचउप्पदीओ य परिसप्पीओ य। से किं तं चउप्पदीओ? चउप्पदीओ चउव्विहाओ पण्णत्ताओ, तं जहाएगखुरीओ जाव सणफ्फईओ। से किं तं परिसप्पीओ? परिसप्पीओ दुविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहाउरपरिसप्पीओ य भुजपरिसप्पीओ य। से किं तं उरपरिसप्पीओ? । उरपरिसप्पीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा१. अहीओ, २. अयगरीओ, ३. महोरगीओ।से त्तं उरपरिसप्पीओ। से कि तं भुयपरिसप्पीओ? । भुयपरिसप्पीओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा गोहीओ, णउलीओ, सेधाओ, सेलीओ, सरडीओ, सेरंधीओ', ससाओ, खाराओ, पंचलोइयाओ, चउप्पइयाओ, मूसियाओ, मंगुसियाओ, घरोलियाओ, गोल्हियाओ, जोहियाओ, विरसिरालियाओ, सेत्तं भुयपरिसप्पीओ। से किं तं खहयरीओ? . खहयरीओ चउविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहाचम्मपक्खिणीओ जावविययपक्खिणीओ, सेत्तं खहयरीओ,सेतं तिरिक्खजोणियाओ। [४५] स्त्रियाँ कितने प्रकार की हैं ? स्त्रियाँ तीन प्रकार की कही गई हैं, यथा-१ तिर्यंचयोनिकस्त्रियाँ, २ मनुष्यस्त्रियां और ३ देवस्त्रियां। तिर्यंचयोनिक स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? तिर्यंचयोनिक स्त्रियां तीन प्रकार की हैं। जैसे कि-१ जलचरी, २ स्थलचरी और ३ खेचरी। जलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ?. जलचरी स्त्रियां पांच प्रकार की हैं। यथा-मत्स्यी यावत् सुंसुमारी। स्थलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? १. यहाँ अनेक वाचना-भेद दृष्टिगोचर होते हैं। आगमोदय समिति से प्रकाशित प्रति में 'सरडीओ सेरंधिओ गोहीओ पउलीओ सेधाओ सण्णाओ सरडीओ सेरंधीओ, भावाओ खाराओ पवण्णइयाओ चठप्पइयाओ मूसियाओ......इस प्रकार पाठ दिया गया है। कई वाचनाओं में गोहीओ जाव विरचिरालिया' पाठ है। -सम्पादक
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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