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[जीवाजीवाभिगमसूत्र
चउगइया, दुआगइया, परित्ता असंखेजा पण्णत्ता। से तंजलयर-संमुच्छिम-पंचेंदियतिरिक्खा। [३५] जलचर कौन हैं ? जलचर पाँच प्रकार के कहे गये हैं-मत्स्य, कच्छप, मगर, ग्राह और शिशुमार (सुंसुमार)। मच्छ क्या हैं ?
मच्छ अनेक प्रकार के हैं इत्यादि वर्णन प्रज्ञापना के अनुसार जानना चाहिए यावत् इस प्रकार के अन्य भी मच्छ आदि ये सब जलचर संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव संक्षेप से दो प्रकार के हैं-पर्याप्त और अपर्याप्त।
हे भगवन् ! उन जीवों के कितने शरीर कहे गये हैं ?
गौतम ! तीन शरीर कहे गये हैं-औदारिक, तैजस और कार्मण। उनके शरीर की अवगाहना जघन्य से अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट एक हजार योजन। वे सेवार्तसंहनन वाले, हुण्डसंस्थान वाले, चार कषाय वाले, चार संज्ञाओं वाले, पाँच लेश्याओं वाले हैं। उनके पांच पर्याप्तियां और पांय अपर्याप्तियां होती हैं। उनके दो दृष्टि, दो दर्शन, दो ज्ञान, दो अज्ञान, दो प्रकार के योग, दो प्रकार के उपयोग और आहार छहों दिशाओं के पुद्गलों का होता है।
ये तिर्यंच और मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं, देवों और नारकों से नहीं। तिर्यंचों में से भी असंख्यात वर्षायु वाले तिर्यंच इनमें उत्पन्न नहीं होते।अकर्मभूमि और अन्तर्वीपों के असंख्यात वर्ष की आयु वाले मनुष्य भी इनमें उत्पन्न नहीं होते ।
इनकी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है। ये मारणांतिक समुद्घात से समवहत होकर भी मरते हैं और असमवहत होकर भी मरते हैं।
भगवन् ! ये संमूर्छिम जलयर जीव मरकर कहाँ उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! ये नरक में भी उत्पन्न होते हैं, तिर्यंचों में भी, मनुष्यो में भी और देवों में भी उत्पन्न होते
यदि नरक में उत्पन्न होते हैं तो रत्नप्रभा नरक तक ही उत्पन्न होते हैं, शेष नरकों में नहीं।
तिर्यंच में उत्पन्न हों तो सब तिर्यंचों में संख्यात वर्ष की आयु वालों में भी और असंख्यात वर्ष की आयु वालों में भी, चतुष्पदों में भी और पक्षियों में भी।
मुनष्य में उत्पन्न हों तो सब कर्मभूमियों के मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, अकर्मभूमि वाले मनुष्यों में नहीं। अन्तीपजों में संख्यात वर्ष की आयुवालों में भी और असंख्यात वर्ष की आयु वालों में भी उत्पन्न होते हैं। यदि वे देवों में उत्पन्न हों तो वानव्यन्तर देवों तक उत्पन्न होते हैं (आगे के देवों में नहीं)।
ये जीव चार गति में जाने वाले, दो गतियों से आने वाले, प्रत्येक शरीर वाले और असंख्यात कहे