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________________ प्रथम प्रतिपत्ति: द्वीन्द्रिय वर्णन] ६७ आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी य। जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी मतिअण्णाणी य सुयअण्णाणी य। नोमणजोगी, वइजोगी,कायजोगी. सागारोवउत्ता विअणागारोवउत्तावि।आहारोणियमा छदिसिं। उववाओ तिरिय-मणुस्सेसु नेरइय देव असंखेजवासाउय वज्जेसु । ठिई जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं बारससंवच्छराणि। समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति। कहिं गच्छंति ? नेरइय-देव-असंखेज्जवासाउयवज्जेसु गच्छंति, दुगतिया, दुआगतिया, परित्ता असंखेज्जा, से तं बेइंदिया। [२८] द्वीन्द्रिय क्या हैं ? द्वीन्द्रिय जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं, यथा-पुलाकृमिक यावत् समुद्रलिक्षा। और भी अन्य इसी प्रकार के द्वीन्द्रिय जीव। ये संक्षेप में दो प्रकार के हैं-पर्याप्त और अपर्याप्त । हे भगवन्! उन जीवों के कितने शरीर कहे गये हैं ? गौतम! तीन शरीर कहे गये हैं, यथा-औदारिक, तैजस और कार्मण। हे भगवन् ! उन जीवों के शरीर की अहवगाहंना कितनी कही गई है ? गौतम! जघन्य से अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट से बारह योजन की अवगाहना है। उन जीवों के सेवार्तसंहनन और हुंडसंस्थान होता है। उनके चार कषाय, चार संज्ञाएँ, तीन लेश्याएँ और दो इन्द्रियाँ होती हैं। उनके तीन समुद्घात होते हैं-वेदना, कषाय और मारणांतिक। ये जीव संज्ञी नहीं हैं, असंज्ञी हैं। नपुंसकवेद वाले हैं। इनके पांच पर्याप्तियाँ और पांच अपर्याप्तियाँ होती हैं। ये सम्यग्दृष्टि भी होते हैं और मिथ्यादृष्टि भी होते हैं, लेकिन सम्यग्-मिथ्यादृष्टि (मिश्रदृष्टि) नहीं होते हैं। ये अवधिदर्शन वाले नहीं होते हैं, चक्षुदर्शन वाले नहीं होते हैं, अचक्षुदर्शन वाले होते हैं, केवलदर्शन वाले नहीं होते। हे भगवन् ! वे जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम! ज्ञानी भी हैं, अज्ञानी भी हैं । जो ज्ञानी हैं वे नियम से दो ज्ञान वाले हैं-मतिज्ञानी और श्रुतज्ञानी। जो अज्ञानी हैं वे नियम से दो अज्ञान वाले हैं-मति-अज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी। ये जीव मनोयोग वाले नहीं हैं, वचनयोग और काययोग वाले हैं। ये जीव साकर-उपयोग वाले भी हैं और अनाकार उपयोग वाले भी हैं।
SR No.003454
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size11 MB
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