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सहयोगियों का कृतज्ञतापूर्वक आभार व्यक्त करता हूं।
___ यदि मेरे इस प्रयास से जिज्ञासु आगम-रसिकों को तात्त्विक सात्विक लाभ पहुंचेगा तो मैं अपने प्रयास को सार्थक समझूगा। अन्त में मैं यह शुभकामना करता हूं कि जिनेश्वर देवों द्वारा प्ररूपित तत्त्वों के प्रति जन-जन के मन में श्रद्धा, विश्वास और रुचि उत्पन्न हो ताकि वे ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूप रत्नत्रय की आराधना करके मुक्ति-पथ के पथिक बन सकें। जैनं जयति शासनम्। श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय
-राजेन्द्र मुनि एम. ए. उदयपुर-(राज.)
साहित्यमहोपाध्याय ११ मई १९८९
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