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मणियों का वर्ण
इष्टतर यावत् अतीव मनोहर नील वर्ण वाली थीं।
३५- तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, से जहाणामए ससरुहिरे इ वा, उरब्भरुहिरे इ वा, वराहरुहिरे इ वा, मणुस्सरुहिरे इ वा, महिसरुहिरे इ वा, बालिंदगोवे इ वा, बालदिवाकरे इ वा, संझब्भरागे इ वा, गुंजद्धरागे इ वा, जासुअणकुसुमे इ वा, किंसुयकुसुमे इ वा, पालियायकुसुमे इ वा, जाइहिंगुलए ति वा, सिलप्पवाले ति वा, पवालअंकुरे इ वा, लोहियक्खमणी इ वा, लक्खारसगे ति वा, किमिरागकंबले ति वा, चीणपिट्ठरासी ति वा, रत्तुप्पले इ वा, रत्तासोगे ति वा, रत्तकणवीरे ति वा, रत्तबंधुजीवे ति वा, भवे एयारूवे सिया ? ___ ३५– उन मणियों में की लोहित (लाल) रंग की मणियों का रंग सचमुच में क्या शशक (खरगोश) के खून, भेड़ के रक्त, सुअर के रक्त, मनुष्य के रक्त, भैंस के रक्त, बाल इन्द्रगोप, प्रातःकालीन सूर्य, संध्या राग (संध्या के समय होने वाली लालिमा), गुंजाफल (धुंघची) के आधे भाग, जपापुष्प, किंशुक पुष्प (केसूडा के फूल), परिजातकुसुम, शुद्ध हिंगलुक (खनिजपदार्थ-विशेष), प्रबाल (मूंगा), प्रबाल के अंकुर, लोहिताक्ष मणि, लाख के रंग, कृमिराग (अत्यन्त गहरे लाल रंग) से रंगे कंबल, चीणा (धान्य-विशेष) के आटे, लाल कमल, लाल अशोक, लाल कनेर अथवा रक्त बंधुजीवक जैसा लाल था ?
३६- णो इणढे समतु, ते णं लोहिया मणी इत्तो इद्रुतराए चेव जाव' वण्णेणं पण्णत्ता।
३६- ये पदार्थ उनकी लालिमा का बोध कराने में समर्थ नहीं हैं। वे मणियां तो इनसे भी अधिक इष्ट यावत् अत्यन्त मनोहर रक्त (लाल) वर्ण की थीं।
३७– तत्थ णं जे ते हालिद्दा मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्तेसे जहाणामए चंपए ति वा, चंपछल्ली ति वा, चंपगभेए इ वा, हलिद्दा इ वा, हलिद्दाभेदे ति वा, हलिद्दागुलिया ति वा, हरियालिया वा हरियालभेदे ति वा, हरियालगुलिया ति वा, चिउरे इ वा, चिउरंगराते ति वा, वरकणगनिघसे इ वा, वरपुरिसवसणे ति वा, अल्लकीकुसुमे ति वा, चंपाकुसुमे इ वा, कुहंडियाकुसुमे इ वा, कोरंटकमल्लदामे ति वा, तडवडाकुसुमे इ वा, घोसेडियाकुसुमे इ वा, सुवण्णजूहियाकुसुमे इ वा, सुहिरण्णकुसुमे ति वा, बीययकुसुमे इ वा, पीयासोगे ति वा, पीयकणवीरे ति वा, पीयबंधुजीवे ति वा, भवे एयारूवे सिया ?
३७– उन मणियों में पीले रंग की मणियों का पीतरंग क्या सचमुच में स्वर्ण चंपा, स्वर्ण चंपा की छाल, स्वर्ण चंपा के अंदर का भाग, हल्दी—हल्दी के अंदर का भाग, हल्दी की गोली, हरताल (खनिज-विशेष), हरताल के अंदर का भाग, हरताल की गोली, चिकुर (गंधद्रव्य-विशेष), चिकुर के रंग से रंगे वस्त्र, शुद्ध स्वर्ण की कसौटी पर खींची गई रेखा, वासुदेव के वस्त्रों, अल्लकी (वृक्ष-विशेष) के फूल, चंपाकुसुम, कूष्मांड (कद्दू–कोला) के फूल, कोरंटक पुष्प की माला, तडवडा (आंवला) के फूल, घोषातिकी पुष्प, सुवर्णयूथिका—जूही के फूल, सुहिरण्य १. देखें सूत्र संख्या ३२