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द्वारों के उभय पार्श्ववर्ती तोरण
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रमणीय है एवं अनेक प्रकार के शुभ लक्षणों तथा आकार प्रकार वाले काले, पीले, नीले आदि वर्गों की मणियों से उपशोभित है।
__ प्रत्येक प्रासादावतंसक के उस समभूमिभाग के बीचों-बीच वेदिकाओं, तोरणों, पुतलियों आदि से अलंकृत प्रेक्षागृहमंडप बने हुए हैं और उन मंडपों के भी मध्यभाग में स्थित मणिपीठिकाओं पर ईहामृग, वृषभ, अश्व, नर, मगर आदि-आदि के चित्रामों से युक्त स्वर्ण-मणि रत्नों से बने हुए सिंहासन रखे हैं।
सिंहासनों के ऊपरी भाग में शंख, कुंद-पुष्प, क्षीरोदधि के फेनपुंज आदि के सदृश श्वेतधवल विजयदूष्य बंधे हैं और उनके बीचों बीच वज्ररत्नों से बने हुए अंकुश लगे हैं। ___उन अकुंशों में कुंभप्रमाण, अर्धकुंभ प्रमाण जैसे बड़े-बड़े मुक्तादाम (झूमर) लटक रहे हैं। ये सभी दाम सोने के लंबूसकों, मणि, रत्नमयी हारों अर्धहारों से परिवेष्टित हैं तथा हवा के झोकों से परस्पर एक-दूसरे से टकराने पर कर्णप्रिय ध्वनि से समीपवर्ती प्रदेश को व्याप्त करते हुए असाधारण रूप से सुशोभित हो रहे हैं। द्वारों के उभय पार्श्ववर्ती तोरण
१३२ – तेसि णं दाराणं उभओ पासे सोलस सोलस तोरणा पन्नत्ता, णाणामणिमया णाणामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसन्निविट्ठा जाव' पउम-हत्थगा ।
तेसि णं तोरणाणं पत्तेयं पुरओ दो दो सालभंजियाओ पन्नत्ताओ, जहा हेट्ठा तहेव । तेसि णं तोरणाणं पुरओ नागदंता पन्नत्ता, जहा हेट्ठा जाव दामा ।
तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो-दो हयसंघाडा, गयसंघाडा, नरसंघाडा, किन्नरसंघाडा, किंपुरिससंघाडा, महोरगसंघाडा, गंधव्वसंघाडा, उसभसंघाडा, सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एवं पंतीओ वीही मिहुणाई ।
तेसि णं तोरणाणं दो-दो पउमलयाओ जाव' (नागलयाओ, असोगलयाओ, चंपगलयाओ, चूयलयाओ, वणलयाओ, वासंतियलयाओ, अइमुत्तयलयाओ कुंदलयाओ) सामलयाओ, णिच्चं कुसुमियाओ सव्वरयणामया अच्छा जाव' पडिरूवा ।
तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो-दो दिसा-सोवत्थिया पन्नत्ता, सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ।
तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो-दो चंदणकलसा पन्नत्ता, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा तहेव । ___ तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो-दो भिंगारा पन्नत्ता, ते णं भिंगारा वरकमलपइट्ठाणा जाव महया मत्तगयमुहागितिसमाणा पन्नत्ता समाणाउसो !
तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो-दो आयंसा पन्नत्ता, तेसि णं आयंसाणं इमेयारूवे वन्ना१-२. देखें सूत्र संख्या १२६
३. देखें सूत्र संख्या १२३ ४. देखें सूत्र संख्या ११८
५-६. देखें सूत्र संख्या ११८ ७-८. देखें सूत्र संख्या ११२