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________________ ३४ औपपातिकसूत्र के अंक ४ से भरा जाना प्रारम्भ किया जाता है । पाँच तक पहुँचने के बाद फिर बाकी अंक १ से शुरू कर भरे जाते हैं। इस यन्त्र के भरने में विशेषतः यह बात ध्यान में रखने की है— प्रत्येक पंक्ति के प्रथम कोष्ठक का भराव . पिछली पंक्ति के मध्य के कोष्ठक के अंक से शुरू किया जाना चाहिए। इस यन्त्र की प्रत्येक पंक्ति का योग एक समान—पन्द्रह होता है । यन्त्र १ ३ १. ५ २ ४ २ ४ १ ३ ५ ३ ५ २ ४ १ ४ १ or ३ ५ २ ५ २ ४ दुवालसमं चोद्दसमं १ यह यन्त्र ऊपर उल्लिखित सर्वतोभद्र प्रतिमा के तपःक्रम का सूचक है। इस तपस्या में १+२+३+४+५+३+४+५+१+२+५+१+२+३+४+२+३+४+५+१+४+५+१+२+३ = तप ७५ + पारणा २५ दिन = १०० दिन = तीन महीने और दश दिन लगते हैं । दिन विगयसहित, विगयवर्जित, लेपवर्जित तथा आयम्बिल पूर्वक पारणे के आधार पर कनकावली की तरह इस तप की चार परिपाटियाँ हैं। चारों परिपाटियों में १०० + १००+१००+१०० = ४०० दिन = एक वर्ष एक महीना और दश दिन लगते हैं। महासर्वतोभद्र प्रतिमा ३ अन्तकृद्दशांग सूत्र अष्टम वर्ग के सातवें अध्ययन में आर्या वीरकृष्णा द्वारा महासर्वतोभद्र प्रतिमा तप किये जाने का उल्लेख है। एवं वीरकण्हा वि, नवरं— महालयं सव्वओभद्दं तवोकम्मं उपसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं जहा— चउत्थं करे, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । चोदसमं छटुं सोलसमं अट्ठ दस करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करे, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । दसमं दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करे, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे ।
SR No.003452
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1992
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_aupapatik
File Size17 MB
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