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________________ लघुसर्वतोभद्र प्रतिमा ३३ लघुसर्वतोभद्र प्रतिमा अन्तकृद्दशांग सूत्र अष्टम वर्ग के छठे अध्ययन में महाराज श्रेणिक की पत्नी, राजा कूणिक की छोटी माता महाकृष्णा द्वारा, जो भगवान् महावीर के श्रमण-संघ में दीक्षित थीं, लघुसर्वतोभद्र तप किये जाने का उल्लेख है। इस प्रतिमा में पहले उपवास, फिर क्रमशः बेला, तेला, चार दिन का उपवास, पांच दिन का उपवास, तेला, चार दिन का उपवास, पांच दिन का उपवास, एक दिन का उपवास, बेला, पांच दिन का उपवास, एक दिन का उपवास, बेला, तेला, चार दिन का उपवास, बेला, तेला, चार दिन का उपवास, पाँच दिन का उपवास, एक दिन का उपवास, चार दिन का उपवास, पाँच दिन का उपवास, एक दिन का उपवास बेला तथा तेला—यह इस प्रतिमा का तपःक्रम है। • इस तपस्या की प्रक्रिया समझने हेतु पच्चीस कोष्ठकों का एक यन्त्र बनाया जाता है। पहली पंक्ति के कोष्ठक के आदि में १ तथा अन्त में पाँच को स्थापित किया जाता है। शेष कोष्ठकों को २, ३, ४ से भर दिया जाता है। दूसरी पंक्ति में प्रथम पंक्ति के मध्य के अंक ३ को लेकर कोष्ठक भरे जाते हैं। ५ अंतिम अंक है। उसके बाद आदिम अंक १ से कोष्ठक भरे जाने प्रारम्भ किये जाते हैं अर्थात् १ व २ से भर दिये जाते हैं। तीसरी पंक्ति के कोष्ठक दूसरी पंक्ति के बीच के अंक ५ से भरने शुरू किये जाते हैं। बाकी के कोष्ठक आदिम अंक १, २, ३ तथा ४ से भरे जाते हैं। चौथी पंक्ति का प्रथम कोष्ठक तीसरी पंक्ति के बीच के अंक २ से भरा जाना शुरू किया जाता है।५ तक पहुँचने के बाद फिर १ से भरती होती है। पाँचवीं पंक्ति का प्रथम कोष्ठक चौथी पंक्ति के बीच १. अट्रं अट्टमं अटुं चउत्थं एवं महाकण्हा वि नवरं-खुडागं सव्वओभई पडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरचउत्थं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।। अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। छटुं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। छटुं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चउत्थं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। . दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ । दुवालसमं ___करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। . छटुं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। चउत्थं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । एवं खलु एवं खुड्डागसव्वओभद्दस्स तवोकम्मस्स पढमं परिवाडि तिहिं मासेहिं दसहि य दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेइ, करेत्ता विगइवजं पारेइ, पारेत्ता जहा रयणावलीए तहा एत्थ वि चत्तारि परिवाडीओ। पारणा तहेव। चउण्हं कालो संवच्छरो मासो दस य दिवसा। सेसं तहेव जाव सिद्धा। -अन्तकृद्दशासूत्र, पृष्ठ १६५ छ8 चउत्थं छटुं
SR No.003452
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1992
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_aupapatik
File Size17 MB
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