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________________ स्थविर हैं, जिनमें से अन्तिम तीन जाति-स्थविर, श्रुत-स्थविर तथा पर्याय-स्थविर का सम्बन्ध विशेषतः श्रमण-जीवन से है। स्थविर का सामान्य अर्थ प्रौढ या वृद्ध है। जो जन्म से अर्थात् आयु से स्थविर होते हैं, वे जाति-स्थविर कहे जाते हैं। स्थानांग वृत्ति में उनके लिए साठ वर्ष की आयु का उल्लेख किया गया है। ___ सर मोनियर विलियम्स ने अपने कोश में स्थविर शब्द की व्याख्या में उल्लेख किया है कि सत्तर से नव्वे वर्ष तक की आयु का पुरुष स्थविर कहा जाता है। तदनन्तर उसकी संज्ञा वर्षीयस् (वर्षीछन्) होती है। स्त्री के लिए उन्होंने सत्तर के स्थान पर पचास वर्ष का उल्लेख किया है। जो श्रुत-समवाय आदि अंग एवं शास्त्र के पारगामी होते हैं। वे श्रुत-स्थविर कहे जाते हैं। उनके लिए आयु की इयत्ता का निर्बन्ध नहीं है। वे छोटी आयु के भी हो सकते हैं। इस सन्दर्भ में मनुस्मृति में कहा है "कोई पुरुष इसलिए वृद्ध नहीं होता कि उसके बाल सफेद हो गये हों। जो युवा होते हुए भी अध्ययनशीलज्ञानसम्पन्न हैं, मनुष्यों की तो बात ही क्या, उसे देव भी वृद्ध कहते हैं।' पर्याय-स्थविर वे होते हैं, जिनका दीक्षाकाल लम्बा होता है। वृत्तिकार ने इनके लिए बीस वर्ष के दीक्षापर्याय के होने का उल्लेख किया है। ऊपर तीन प्रकार के स्थविरों का जो विवेचन हुआ है, उसका सार यह है-. __ जिनकी आयु परिपक्व होती है,उन्हें जीवन के अनेक प्रकार के अनुभव होते हैं। वे जीवन में बहुत प्रकार के अनुकूल-प्रतिकूल, प्रिय-अप्रिय घटनाक्रम देखे हुए होते हैं अतः वे विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते, स्थिर बने रहते हैं। स्थविर शब्द स्थिरता का भी द्योतक है। जिनका श्रुतानुशीलन, शास्त्राध्ययन विशाल होता है, वे अपने विपुल ज्ञान द्वारा जीवन-सत्त्व के परिज्ञाता होते हैं। शास्त्र-ज्ञान द्वारा उनके जीवन में स्थिरता एवं दृढ़ता होती है। जिनका दीक्षा-पर्याय संयम-जीवितव्य लम्बा होता है, उनके जीवन में धार्मिक परिपक्वता, चारित्रिक बल, आत्मिक ओज, एतत्प्रसूत स्थिरता सहज ही प्रस्फुटित हो जाती है। इस प्रकार के स्थिरतामय जीवन के धनी श्रमणों की अपनी गरिमा है। वे दृढ़धर्मा होते हैं। संघ के श्रमणों को (क) पाइअसद्दमहण्णवो-पृष्ठ ४५० (ख) संस्कृत हिन्दी कोश : वामन शिवराम आप्टे—पृष्ठ ११.३९ २. जातिस्थविराः षष्टिवर्षप्रमाणजन्मपर्यायाः। -स्थानांगसूत्र १०.७६१ वृत्ति Old age (described as commencing at seventy in men and fifty in women, and ending at ninety] after which period a man is called Varshiyas). - Sanskrit-English Dictionary, Page 1265 श्रुतस्थविराः -समवायाङ्गधारिणः । -स्थानांग सूत्र १०.७६१ ५. न तेन वृद्धो भवति येनास्य पलितं शिरः । यो वै युवाऽप्यधीयानस्तं देवाः स्थविरं विदुः ॥ -मनुस्मृति २.१५६ ६. पर्यायस्थविराः - विंशतिवर्षप्रमाणप्रव्रज्या-पर्यायवन्तः । -स्थानांगसूत्र १०७६१ वृत्ति
SR No.003452
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1992
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Principle, & agam_aupapatik
File Size17 MB
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