________________
पञ्चम अध्ययन]
[६९ राजमार्ग में देखा है) ऐसा कठोर दण्ड देने की राजपुरुषों को आज्ञा दी।
हे गौतम ! इस तरह बृहस्पतिदत्त पुरोहित पूर्वकृत क्रूर पापकर्मों के फल,को प्रत्यक्षरूप से अनुभव कर रहा है। भविष्य
१२–'बहस्सइदत्ते णं भंते! दारए इओ कालगए समाणे कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववजिहिइ ?'
गोयमा! बहस्सइदत्ते णं दारए पुरोहिए चउसद्धिं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अजेव तिभागावसेसे दिवसे सूलिय-भिन्ने कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमट्ठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। संसारो जहा पढमे जाव वाउ-तेउ आउ-पुढवीसु।
तओ हत्थिणाउरे नयरे मिगत्ताए पच्चायाइस्सइ।से णं तत्थ बाउरिएहिं वहिए समाणे तत्थेव हत्थिणाउरे नयरे सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ, बोहिं, सोहम्मे कप्पे, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ।
निक्खेवो।
१२—गौतम स्वामी ने प्रश्न किया हे भगवन् ! बृहस्पतिदत्त पुरोहित यहाँ से काल करके कहाँ जायेगा? और कहाँ पर उत्पन्न होगा?
भगवान् ने उत्तर दिया—हे गौतम ! बृहस्पतिदत्त पुरोहित ६४ वर्ष की आयु को भोगकर दिन का तीसरा भाग शेष रहने पर सूली से भेदन किया जाकर कालावसर में काल करके रत्नप्रभा नामक प्रथम नरक में उत्कृष्ट एक सागर की स्थिति वाले नारकों में उत्पन्न होगा। वहाँ से निकलकर प्रथम अध्ययन में वर्णित मृगापुत्र की तरह सभी नरकों में, सब तिर्यञ्चों में तथा एकेन्द्रियों में लाखों लाखों बार जन्म-मरण
करेगा।
तत्पश्चात् हस्तिानपुर नगर में मृग के रूप में जन्म लेगा। वहाँ पर वागुरिकों जाल में फँसाने का काम करने वाले व्याधों के द्वारा मारा जायेगा। और इसी हस्तिनापुर में श्रेष्ठिकुल में पुत्ररूप से जन्म धारण करेगा।
____ वहाँ सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा और काल करके सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा। वहाँ से च्युत होकर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। वहाँ पर अनगार वृत्ति धारण कर, संयम की आराधना करके सब कर्मों का अन्त करेगा-परमसिद्धि को प्राप्त करेगा।
निक्षेप-उपसंहार पूर्ववत् जान लेना चाहिए।
॥ पञ्चम अध्ययन समाप्त॥