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चतुर्थ अध्ययन-ब्रह्मचर्ये ब्रह्मचर्य की महिमा बत्तीस उपमानों से मण्डित ब्रह्मचर्य महाव्रतों का मूल : ब्रह्मचर्य ब्रह्मचर्यविघातक निमित्त ब्रह्मचर्य-रक्षक नियम ब्रह्मचर्यव्रत की पांच भावनाएँ प्रथम भावना--विविक्त-शयनासन द्वितीय भावना-स्त्रीकथावर्जन तृतीय भावना-स्त्रियों के रूप-दर्शन का त्याग चतुर्थ भावना-पूर्वभोग-चिन्तनत्याग 'पंचम भावना-स्निग्ध-सरस भपेजन-त्याग उपसंहार
पंचम अध्ययन-परिग्रहत्याय उत्क्षेप धर्मवृक्ष का रूपक अकल्पनीय-अनाचरणय सन्निधि-त्याग कल्पनीय भिक्षा साधु के उपकरण निर्ग्रन्थों का आन्तरिक स्वरूप निर्ग्रन्थों की ३१ उपमाएँ अपरिग्रहव्रत की पाँच भावनाएँ प्रथम भावना-श्रोत्रेन्द्रिय-संयम द्वितीय भावना-चक्षुरिन्द्रिय-संयम तीसरी भावना-घ्राणेन्द्रिय-संयम चतुर्थ भावना-रसनेन्द्रिय-संयम पंचम भावना स्पर्शनेन्द्रिय-संयम पंचम संवरद्वार का उपसंहार
सम्पूर्ण संवरद्वार का उपसंहार परिशिष्ट १. उत्थानिक-पाठान्तर २. गावानुक्रमसूची ३. कथाएँ ४. विशिष्ट शब्दों एवं नामों का कोश
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