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________________ अहिंसा की महिमा ] [ १६५ यद्यपि हिंसा शब्द का सामान्य अर्थ हिंसा का अभाव, ऐसा होता है, किन्तु हिंसा शब्द में भी बहुत व्यापक अर्थ निहित है । अतएव उसके विरोधी 'अहिंसा' शब्द में भी व्यापक अर्थ छिपा है । प्रमाद, कषाय आदि के वशीभूत होकर किसी प्राणी के प्राणों का व्यपरोपण करना हिंसा कहा गया है ।" यह हिंसा दो प्रकार की है - द्रव्यहिंसा और भावहिंसा । प्राणव्यपरोपण द्रव्यहिंसा है और प्राणव्यपरोपण का मानसिक विचार भावहिंसा है । हिंसा से बचने की सावधानी न रखना भी एक प्रकार की हिंसा है । इनमें से भावहिंसा एकान्त रूप से हिंसा है, किन्तु द्रव्यहिंसा तभी हिंसा होती है जब वह भावहिंसा के साथ हो । अतएव अहिंसा के आराधक को भावहिंसा से बचने के लिए निरन्तर जागृत रहना पड़ता है । यह समस्त विषय अहिंसा के नामों पर सम्यक् विचार करने से स्पष्ट हो जाता है । अहिंसा का अन्तिम फल निर्वाण है, यह तथ्य भी प्रस्तुत पाठ से विदित हो जाता है । अहिंसा की महिमा १०८ - एसा सा भगवई श्रहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं, पक्खीणं विव गमणं, तिसियाणं विव सलिलं, खुहियाणं विव असणं, समुद्दमज्झे व पोयवहणं, चउप्पयाणं व प्रासमपयं, हट्टिया व श्रसहिबलं, अडवीमज्झे व सत्थगमणं, तो विसितरिया श्रहिंसा जा सा पुढवी- जल-प्रगणि मारुय वणस्सइ-बीय-हरिय- जलयरथलयर - खहयर-तस - थावर- सव्वभूय - खेमकरी । १०८ - यह हिंसा भगवती जो है सो (संसार के समस्त ) भयभीत प्राणियों के लिए शरणभूत है, पक्षियों के लिए आकाश में गमन करने - उड़ने के समान है, यह हिंसा प्यास से पीडित प्राणियों के लिए जल के समान है, भूखों के लिए भोजन के समान है, समुद्र के मध्य में डूबते हुए जीवों के लिए जहाज समान है, चतुष्पद - पशुओं के लिए श्राश्रम स्थान के समान है, दुःखों से पीडित - रोगी जनों के लिए श्रौषध-बल के समान है, भयानक जंगल में सार्थ — संघ के साथ गमन करने के समान है । ( क्या भगवती अहिंसा वास्तव में जल, अन्न, औषध, यात्रा में सार्थ (समूह) आदि के समान १. प्रमत्तयोगात्प्राणव्यपरोपणं हिंसा -- तत्त्वार्थसूत्र अ. ६
SR No.003450
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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