________________
पंचमो वग्गो-पंचम वर्ग
प्रथम अध्ययन
कमला ६५-पंचमवग्गस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू! जाव बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा
कमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा। रूववई बहुरूवा, सुरूवा सुभगा वि य॥१॥ पुण्णा बहुपुत्तिया चेव, उत्तमा भारिया वि य। पउमा वसुमती चेव, कणगा कणगप्पभा॥२॥ वडेंसा केउमइ चेव, वइरसेणा रइप्पिया। रोहिणी नवमिया चेव, हिरी पुष्फवती ति य॥३॥ भूयगा भुयगवई चेव, महाकच्छाऽपराइया।
सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सई॥४॥ पंचम वर्ग का उपोद्घात पूर्ववत् कहना चाहिए।
सुधर्मास्वामी ने उत्तर दिया-जम्बू! पांचवें वर्ग में बत्तीस अध्ययन हैं। उनके नाम ये हैं-(१) कमला देवी (२) कमलप्रभा देवी (३) उत्पला (४) सुदर्शना (५) रूपवती (६) बहुरूपा (७) सुरूपा (८) सुभगा (९) पूर्णा (१०) बहुपुत्रिका (११) उत्तमा (१२) भारिका (१३) पद्मा (१४) वसुमती (१५) कनका (१६) कनकप्रभा (१७) अवतंसा (१८) केतुमती (१९) वज्रसेना (२०) रतिप्रिया (२१) रोहिणी (२२) नवमिका (२३) ह्री (२४) पुष्पवती (२५) भुजगा (२६) भुजगवती (२७) महाकच्छा (२८) अपराजिता (२९) सुघोषा (३०) विमला (३१) सुस्वरा (३२) सरस्वती।
इस बत्तीस देवियों के वर्णन से सम्बद्ध बत्तीस अध्ययन पंचम वर्ग में जानने चाहिएँ।
प्रथम अध्ययन
६६-उक्खेवओ पढमज्झयणस्स। एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासइ।
प्रथम अध्ययन का उपोद्घात कहना चाहिए, यथा जम्बूस्वामी ने प्रश्न किया-भगवन्! श्रमण भगवान् महावीर ने पाँचवें वर्ग के प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ?
तब सुधर्मास्वामी ने उत्तर दिया-जम्बू! उस काल और उस समय राजगृह नगर था। भगवान् महावीर वहाँ पधारे। यावत् परिषद् निकलकर भगवान् की पर्युपासना करने लगी।