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________________ अठारहवाँ अध्ययन : सुंसुमा] [४९३ उघाड़ लिये। तत्पश्चात् राजगृह के भीतर प्रवेश किया। प्रवेश करके ऊँचे-ऊँचे शब्दों से आघोषणा करते-करते इस प्रकार बोला २४–'एवं खलु देवाणुप्पिया! चिलाए णामं चोरसेणावई पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इह हव्वमागए धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाउकामे, तं जो णं णवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे, से णं निग्गच्छउ' त्ति कटु जेणेव धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवाराच्छिता धण्णस्स गिहं विहाडेइ। 'देवानुप्रियो! मैं चिलात नामक चोरसेनापति, पांच सौ चोरों के साथ सिंहगुफा नामक चोर-पल्ली से, धन्य-सार्थवाह का घर लूटने के लिए यहाँ आया हूँ। जो नवीन माता का दूध पीना चाहता हो अर्थात् मरना चाहता हो, वह निकल कर मेरे सामने आवे।' इस प्रकार कह कर वह धन्य सार्थवाह के घर आया। आकर उसने धन्य-सार्थवाह का (द्वार) उघाड़ा। २५-तएणं से धण्णे सत्थवाहे चिलाएणं चोरसेणावइणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं गिहं घाइज्जमाणं पासइ, पासित्ता भीए, तत्थे, पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवक्कमइ। तएणं से चिलाए चोरसेणावई धण्णस्स सत्थवाहस्स गिहं घाएइ, घाइत्ता सुबहुंधणकणग जाव सावएजं सुंसुमं च दारियं गेण्हइ, गेहिण्त्ता रायगिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव सीहागुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ___ धन्य-सार्थवाह ने देखा कि पांच सौ चोरों के साथ चिलात चोरसेनापति के द्वारा घर लूटा जा रहा है। यह देखकर वह भयभीत हो गया, घबरा गया और अपने पांचों पुत्रों के साथ एकान्त में चला गया-छिप गया। तत्पश्चात् चोर सेनापति चिलात ने धन्य-सार्थवाह का घर लूटा। लूट कर बहुत सारा धन, कनक यावत् स्वापतेय (द्रव्य) तथा सुंसुमा दारिका को लेकर वह राजगृह से बाहर निकल कर जिधर सिंहगुफा थी, उसी ओर जाने के लिए उद्यत हुआ। नगररक्षकों के समक्ष फरियाद ___ २६–तए णं से धण्णे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता सुबहुं धणकणगं सुसुमंदारियंणवहरियं जाणित्ता महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं गहाय जेणेव णगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता तं महत्थं जाव पाहुडं उवणेइ, उवणित्ता एवं वयासी-'एवं खलु देवाणुप्पिया!चिलाएचोरसेणावई सीहगुहाओ चोरपल्लीओ इहं हव्वमागम्म पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं मम गिहं घाएत्ता सुबहुंधणकणगं सुंसुमंच दारियंगहाय जाव पडिगए, तंइच्छामो णं देवाणुप्पिया! सुंसुमादारियाए कूवं गमित्तए। तुब्भेणं देवाणुप्पिया!से विपुले धणकणगे, ममं सुंसुमा दारिया।' चोरों के चले जाने के पश्चात् धन्य-सार्थवाह अपने घर आया। आकर उसने जाना कि मेरा बहुतसा धन कनक और सुंसुमा लड़की का अपहरण कर लिया गया है। यह जान कर वह बहुमूल्य भेंट लेकर रक्षकों के पास गया और उसने कहा-'देवानुप्रियो! चिलात नामक चोरसेनापति सिंहगुफा नामक चोरपल्ली से यहाँ आकर, पांच सौ चोरों के साथ, मेरा घर लूट कर और बहुत-सा धन, कनक तथा सुंसुमा लड़की को लेकर
SR No.003446
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Literature, & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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