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________________ स्त्रीलक्षण (३३) पुरुषलक्षण (३४) हयलक्षण (३५) गजलक्षण (३६) गोलक्षण (३७) कुक्कुटलक्षण (३८) छत्रलक्षण (३९) दण्डलक्षण (४०) असिलक्षण (४१) मणिलक्षण (४२) काकणीलक्षण (४३) वास्तुविद्या (४४) स्कन्धावारमान (४५) नगरमान (४६) व्यूह (४७) प्रतिव्यूह (४८) चार (४९) प्रतिचार (५०) चक्रव्यूह (५१) गरुडव्यूह (५२) शकटव्यूह (५३) युद्ध (५४) नियुद्ध (५५) युद्धनियुद्ध (५६) दृष्टियुद्ध (५७) मुष्टियुद्ध (५८) बाहुयुद्ध (५९) लतायुद्ध (६०) इषुशास्त्र (६१) छरुप्रवाद (६२) धनुर्वेद (६३) हिरण्यपाक (६४) स्वर्णपाक (६५) सूत्रखेल (६६) वस्त्रखेल (६७) नालिकाखेल (६८) पत्रच्छेद्य (६९) कटच्छेद्य (७०) सजीव (७१) निर्जीव (७२) शकुनिरुत। औपपातिक' में पाँचवीं कला 'गीत' है, पच्चीसवीं कला 'गीति' और छप्पनवीं कला 'दृष्टियुद्ध' नहीं है। इनके स्थान पर औपपातिक में (३६) चक्कलक्खणं, (३८) चम्मचलक्खणं तथा (४६) वत्थुनिवेसन कलाओं का उल्लेख है। रायपसेणिय सूत्र में उन्तीसवीं कला 'चूर्णयुक्ति' नहीं है, (३८)वीं कला 'चक्रलक्षण' विशेष है। छप्पनवीं कला 'दृष्टियुद्ध' के स्थान पर 'यष्टियुद्ध' है। अन्य सभी कलाएँ ज्ञाताधर्म के अनुसार ही हैं। जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति' शांतिचन्द्रीयवृत्ति, वक्षस्कार-२ पत्र संख्या १३६-२, १३७-१ में सभी कलाएँ ज्ञातासूत्र की-सी ही हैं, किन्तु संख्या क्रम में किंचित अन्तर है। ज्ञातासूत्र में आयी हुई बहत्तर कलाओं के नामों में और समवायांग में आई हुई बहत्तर कलाओं के नामों में बहुत अन्तर है। समवायांग की कलासूची यहाँ प्रस्तुत है (१) लेह-लेख लिखने की कला (२) गणियं-गणित (३) रूवं-रूप सजाने की कला (४) नढें-नाट्य करने की कला (५) गीयं-गीत गाने की कला (६) वाइयं-वाद्य बजाने की कला (७) सरगयं-स्वर जानने की कला (८) पुक्खरयं-ढोल आदि वाद्य बजाने की कला (९) समतालं-ताल देना (१०) जूयं-जुआ खेलने की कला (११) जणवायं-वार्तालाप की कला (१२) पोक्खच्चं-नगर-संरक्षण की कला (१३) अट्टावय-पासा खेलने की कला (१४) दगमट्टियं-पानी और मिट्टी के संमिश्रण से वस्तु बनाने की कला २. राजप्रश्नीयसूत्र, पत्र ३४० ३. समवायांग, समवाय-७२. १. औपपातिक ४० पत्र १८५. ४. ज्ञातसूत्र-१. ३०
SR No.003446
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Literature, & agam_gyatadharmkatha
File Size14 MB
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