SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 888
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-१] [७५७ धम्मघोस (निर्ग्रन्थ) १५/०१३२ म९य (श्रमणोपासक) १८५७।२६, २८-३८ धारिणी (शिवराजा की रानी) ११।९।४-५ मल्लइ (गणराजा) ७९।५,१०,१४ नमि (तीर्थंकर) २०८७ मल्लि (तीर्थंकर) २०१८७ नम्मुदय (अन्ययूथिक मुनि) ७/१०२ महब्बल (राजपुत्र-निर्ग्रन्थ) ११।११।४४-५२, ५५नागनत्तुय (वरुण नाम का श्रमणोपासक) ७९।२० ५६, ५८, १२।६८ (५),(७),(११),(१२),(१३),१४,९।७।२१ महसेण (राजा) १३।६।१६, २५ नामुदय (आजीवकोपासक) ८/५/११ महापउम (गोशालक के आगामी भव का नाम) नायपुत्त (तीर्थंकर भगवान् महावीर का नाम) १५/०।१३२ १५/०६५, ६७ मादियपुत्त (भ. महावीर का शिष्य) १८।३।२-३, नारयपुत्त (भ० महावीर का शिष्य) ५।८।३-९ ५-८,१०,१२-१५,१७-१८, २१ (२), २४ नियंठपुत्त (भ० महावीर का शिष्य) ५।८।३-९ माणिभद्द (देव) १५/०।१३२ मायंदिय (निर्ग्रन्थ) १८१।१ नेमि (तीर्थंकर) २०१८७ पउमावती (उदायण राजा की रानी) १३।६।१२, २१ मिगा(या)वती(कौशाम्बी के शतानीक गजा की रानी) १२।२।२-४,७-१३ २९,३० पभावती (हस्तिनापुरनरेश बल राजा की रानी) मुणिसुव्वय (तीर्थंकर) १६/५/१६, १८।२।३, २०।८।७ मेहिल (पार्श्वपत्यीय स्थविर) २।५।१७ ११।११।२२-२६, २९, ३२, ३३, (३), ३३ (४) मोग्गल (परिव्राजक) ११।१२।१६-१८ ३४-२९,४४ मोरियपुत्त (तामलि नाम का गृहस्थ-तापस) ३।१।३५, पभावती (उदायण राजा की रानी) १३।६।१३, ३२ ३६,३९-४५ पास (ताथकर) (पाश्वनाथ) ५।१।१४ (२), १८, रेवती ( श्रमणोपासिका) १५/०।११३, १२१-१२७ ९।३२।५१ (२) २०१८७ रोह (भ. महावीर का शिष्य) १।६।१२, १३, १६पिंगलय (निर्ग्रन्थ) २।१।१३-१६, २०, २३ १८, २४, १०।४।३ पुण्णभद्द (देव) १५/०।१३२ लेच्छइ (गणराजा) ७/९।५, १०, १४ पुष्पदंत (तीर्थंकर) २०१८७ वद्धमाण (तीर्थंकर महावीर) २०१८।७ पूरण (गृहस्थ-तापस) ३।२।२१-२३, १६।५।१६ वरुण (श्रमणोपासक) ७।९।२० पोक्खलि (श्रमणोपासक) १२।१४, १४-१८ वाउ(यु) भूति(गणधर) ३१।७,८-१२, १४, १९, ३० बल (हस्तिनापुर का राजा) ११।११।२१, २२, २४- वासुपुज्ज (तीर्थंकर) २०१८।७ २७, २९-३३ (१),३४, ३५, ३९-४४,५७ विदेहपुत्त (राजा कूणिक) ७९/५ बहुल (ब्राह्मण) १५/०।३६-३९, ४१ ।। विमल (तीर्थंकर) ११।११।५३, ५५; १५/०।१३२, भद्दा (मंख-भार्या—गोशालक की माता) १५/०।१४, २०१८७ १७, १८ विमलवाहण (राजा - गोशालक का जीव) भूतानंद (हाथी) ७९।१५ १५/०।१३२
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy