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________________ [७०९ सत्ततीसइमं सयंः बारस तेइंदियमहाजुम्मसयाई सैंतीसवाँ शतक : बारह त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक के अतिदेशपूर्वक बारह त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक . १. कडजुम्मकडजुम्मादिया णं भंते ! कओ उववजंति० ? एवं तेइंदिएसु वि बारस सया कायव्वा बेंदियसयसरिसा, नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेंजइभागं, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई; ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं एकूणवनरातिंदियाई। सेसं तहेव। 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्तिः। ॥ सत्ततीसइमे सए : तेइंदियमहाजुम्मसया समत्ता॥ ३७-१-१२॥ ॥सत्ततीसइमं सत्तं समत्तं ॥ ३७॥ [१ प्र.] भगवन् ! कृतयुग्म-कृतयुग्मराशि वाले त्रीन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? [१ उ.] गौतम ! द्वीन्द्रियशतक के समान त्रीन्द्रिय जीवों के भी बारह शतक कहने चाहिए। विशेष यह है कि इनकी (त्रीन्द्रिय की) अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट तीन गाऊ (गव्यूति) की है तथा स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट उनपचास (४९) अहोरात्रि की है। शेष सब कथन पूर्ववत् है। 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरते विवेचन द्वीन्द्रियशतक का अतिदेश-कृतयुग्म-कृतयुग्मविशिष्ट त्रीन्द्रिय जीवों की अवगाहना और स्थिति को छोड़ कर, उत्पत्ति आदि का शेष समग्र कथन द्वीन्द्रियशतक के अतिदेशपूर्वक किया गया है। ॥ सैंतीसवाँ शतक : द्वादश त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक समाप्त॥ ॥ सैंतीसवाँ शतक सम्पूर्ण॥ ***
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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