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________________ ७०६] तइए बेइंदियमहाजुम्मसए: पढमाइएक्कारसपजंता उद्देसगा तृतीय द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक पर्यन्त द्वितीय द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक के अनुसार नीललेश्यी द्वीन्द्रियशतकनिर्देश १. एवं नीललेस्सेहिं वि सयं। [॥ ३६-३-१-११॥] ॥ छत्तीसइमे सए : ततियं सतं समत्तं ॥ ३६-३॥ [१] इसी प्रकार नीललेश्यी द्वीन्द्रिय जीवों का ग्यारह उद्देशक-सहित शतक है। ॥ छत्तीसवाँ शतक : तृतीय द्वीन्द्रियशतक समाप्त। *** चउत्थे बेइंदियमहाजुम्मसए : पढमाइएक्कारसपज्जता उद्देसगा चतुर्थ द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक पर्यन्त द्वितीय द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक कापोतलेश्यी द्वीन्द्रियशतकनिर्देश १. एवं काउलेस्सेहिं वि सयं। [॥ ३६-४-१-११॥] ॥ छत्तीसइमे सए : चउत्थं सतं समत्तं ॥३६-४॥ [१] इसी प्रकार कापोतलेश्यी द्वीन्द्रिय जीवों का (ग्यारह उद्देशक-सहित) शतक है। ॥ छत्तीसवाँ शतक : चतुर्थ द्वीन्द्रियशतक समाप्त।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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