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तेतीसवाँ शतक : उद्देशक ४-११]
[६३३ _ विवेचन–अतिदेशपूर्वक आठ उद्देशक-चतुर्थ उद्देशक से लेकर ग्यारहवें उद्देशक तक आठ उद्देशकों में प्रतिपाद्य विषय का अतिदेश चौथे से नौवें उद्देशक तक अनन्तरविशिष्ट एकेन्द्रिय का अनन्तरोपपन्नक उद्देशक के अनुसार और परम्परविशिष्ट एकेन्द्रिय का परम्परोपपन्नक उद्देशक के अनुसार तथा चरम और अचरम एकेन्द्रिय का अतिदेश परम्परोपपन्नक उद्देशक के अनुसार किया गया है।'
॥ तेतीसवां शतक : प्रथम एकेन्द्रियशतक : चौथे से ग्यारहवें तक के उद्देशक सम्पूर्ण
॥तेतीसवाँ शतक : प्रथम एकेन्द्रियशतक समाप्त॥
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१. वियाहपण्णत्तिसुत्तं (मूलपाठ-टिप्पणयुक्त), भा. ३, पृ. १११७-१११८