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________________ तीसवां शतक : उद्देशक १] [५८७ । [३४ उ.] गौतम ! वे नैरयिकायुष्य भी बांधते हैं, तिर्यञ्चायुष्य भी बांधते हैं, मनुष्यायुष्य भी बांधते हैं और देवायुष्य भी। ३५. एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। [३५] इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों के आयुष्य-बन्ध के विषय में भी समझना चाहिए। ३६. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरतियाउयं पकरेंति० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरझ्याउयं०, एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा विचउहि वि समोसरणेहिं भाणियव्वा। [३६ प्र.] भगवन् ! क्या सलेश्य क्रियावादी जीव नैरयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [३६ उ.] गौतम ! वे नैरयिकायुष्य नहीं बांधते इत्यादि सब औधिक जीव (के आयुष्यबन्ध कथन) के समान सलेश्य में चारों समवसरणों का (आयुष्यबन्ध) कथन करना चाहिए। ३७. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। [३७ प्र.] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्यी क्रियावादी जीव, नैरयिक का आयुष्य बांधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [३७ उ.] गौतम ! वे नैरयिकायुष्य, तिर्यञ्चायुष्य और देवायुष्य नहीं बांधते, किन्तु मनुष्यायुष्य बांधते हैं। ३८. अकिरिया-अन्नाणिय-वेणइयवादी चत्तारि वि आउयाइं पकरेंति। [३८] कृष्णलेश्यी अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी जीव, नैरयिक आदि चारों प्रकार का आयुष्य बांधते हैं। ३९. एवं नीललेस्सा काउलेस्सा वि। [३९] इसी प्रकार नीललेश्यी और कापोतलेश्यी क्रियावादी, (अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों के आयुष्यबन्ध) के विषय में भी जानना चाहिए। ४०.[१] तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरतियाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणि०, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति। [४०-१ प्र.] भगवन् ! क्या तेजोलेश्यी क्रियाः दी जीव रयिकायुष्य बांधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। [४०-१ उ.] गौतम ! वे नैरयिकायुष्य एवं तिर्यञ्चायुष्य नहीं बांधते हैं, किन्तु मनुष्यायुष्य बांधते हैं और देवायुष्य भी बांधते हैं।
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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