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________________ पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक - ७] चौदहवाँ संयमद्वार : पंचविध संयतों में अल्पबहुत्वसहित संयमस्थानप्ररूपण ७५. सामाइयसंजयस्स णं भंते! केवतिया संजमठाणा पन्नत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा संजमठाणा पन्नत्ता । [७५ प्र.] भगवन् ! सामायिकसंयत के कितने संयमस्थान कहे हैं ? [७५ उ.] गौतम ! उसके असंख्येय संयमस्थान कहे हैं । ७६. एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स । [ ७६ ] इसी प्रकार यावत् परिहारविशुद्धिकसंयत तक के संयमस्थान होते हैं। ७७. सुहुमसंपरायसंजयस्स० पुच्छा । गोयमा ! असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमठाणा पन्नत्ता । [७७ प्र.] भगवन् ! सूक्ष्मसम्परायसंयम के कितने संयमस्थान कहे हैं ? [७७ उ.] गौतम ! उनके असंख्येय अन्तर्मुहूर्त के समय बराबर संयमस्थान कहे हैं । ७८. अहक्खायसंजयस्स० पुच्छा । [ ४६१ गोयमा ! एगे अजहन्नमणुक्कोसए संजमठाणे | [७८ प्र.] भगवन् ! यथाख्यातसंयत के संयमस्थान कितने कहे हैं ? [७८ उ.] गौतम ! अजघन्य - अनुत्कृष्ट एक ही संयमस्थान कहा है। ७९. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय परिहारविसुद्धिय- सुहुमसंपराय- अहक्खायसंजयाणं संजमठाणाणं कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे अहक्खायसंयजस्स एगे अजहन्नमणुकोसए संजयट्ठाणे, सुहुमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमठाणा असंखेज्जगुणा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमठाणा असंखेज्जगुणा, सामाइयसंजयस्स छेदोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं संजमठाणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा । [ दारं १४] [७९ प्र.] भगवन् ! सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहारविशुद्धिक, सूक्ष्मसम्पराय और यथाख्यात संयत, इनके संयमस्थानों में किसके संयमस्थान किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [७९ उ.] गौतम ! इनमें से यथाख्यातसंयत का एक अजघन्यानुत्कृष्ट संयमस्थान है और वही सबसे अल्प है, उससे सूक्ष्मसम्परायसंयत के अन्तर्मुहूर्त-सम्बन्धी संयमस्थान असंख्यातगुणे हैं। उनसे परिहारविशुद्धिसंयत के संयमस्थान असंख्येयगुणे हैं। उनसे सामायिकसंयत और छेदोपस्थापनीय संयत ( इन दोनों के) संयमस्थानं तुल्य हैं और असंख्येयगुणे हैं । [ चौदहवाँ द्वार ] विवेचन —संयमस्थान के अल्पबहुल्य का स्पष्टीकरण – सूक्ष्मसम्परायसंयत की स्थिति अन्तर्मुहूर्तप्रमाण है। उसके चारित्रविशुद्धि के परिणाम समय-समय में विशिष्ट - विशिष्ट होने से असंख्यात होते
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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