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________________ [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र करते हैं । वे शास्त्रोक्त मर्यादानुसार प्रमाणोपेत वस्त्र-पात्रादि रखते हैं। कल्पातीत वे होते हैं, जो इन दोनों से परे होते हैं। ऐस कल्पातीत केवलज्ञानी, तीर्थंकर, मनःपर्यवज्ञानी, अवधिज्ञानी, चतुर्दशपूर्वधर, श्रुतकेवली एवं जातिस्मरणज्ञानी होते हैं। पुलाक तो केवल स्थविरकल्पी होते हैं, बकुश और प्रतिसेवनाकुशील जिनकल्पी और स्थविरकल्पी दोनों होते हैं। कषायकुशील जिनकल्पी, स्थविरकल्पी और कल्पातीत भी होते हैं। क्योंकि छद्मस्थ तीर्थंकर सकषायी होने से कल्पातीत होते हुए भी कषायकुशील होते हैं । निर्ग्रन्थ और स्नातक ये दोनों कल्पातीत ही होते हैं, उनमें जिनकल्प या स्थविरकल्पधर्म नहीं होते। पंचम चारित्रद्वार : पंचविध निर्ग्रन्थों में चारित्र-प्ररूपणा २९. पुलाए णं भंते ! किं सामाइयसंजमे होज्जा, छेदोवट्ठावणियसंजमे होजा, परिहारविसुद्धियसंजमे होजा, सुहुमसंपरायसंजमे होजा, अहक्खायसंजमे होज्जा ? गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होज्जा, छेदोवट्ठावणियसंजमे वा होजा, नो परिहारविसुद्धिसंजमे, होजा, नो सुहुमसंपरायसंजमे होजा, नो अहक्खायसंजमे होजा। [२९ प्र.] भगवन् ! पुलाक सामायिकसंयम में, छेदोपस्थापनिकसंयम, परिहारविशुद्धिसंयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम में अथवा यथाख्यातसंयम में होता है ? [२९ उ.] गौतम ! वह सामायिकसंयम में या छेदोपस्थापनिकसंयम में होता है, किन्तु परिहारविशुद्धिसंयम, सूक्ष्मसम्परायसंयम या यथाख्यातसंयम में नहीं होता। ३०. एवं बउसे वि। [३०] बकुश के सम्बन्ध में भी इसी प्रकार समझना चाहिए। ३१. एवं पडिसेवणाकुसीले वि। [३१] और इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील के विषय में समझना चाहिए ३२. कसायकुसीले णं० पुच्छा। गोयमा ! णो सामाइयसंजमे होजा जाव णो सुहमसंपरायसंजमे वा होजा, नो अहक्खायसंजमे होज्जा। [३२ प्र.] भगवन् ! कषायकुशील पांच संयमों में से किन-किन संयमों में होता है ? [३२ उ.] गौतम ! वह सामायिक से लेकर यावत् सूक्ष्मसम्परायसंयम तक में होता है; किन्तु यथाख्यातसंयम में नहीं होता। ३३. नियंठे णं० पुच्छा। १. (क) भगवती-उपक्रम, पृ. ६०४ (ख) भगवती. (हिन्दी-विवेचन) भा. ७, पृ. ३३५७-३३५८
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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