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________________ ३८८] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [३ उ.] गौतम ! निर्ग्रन्थ पांच प्रकार के बताए हैं । यथा-(१) पुलाक, (२) बकुश, (३) कुशील, (४) निर्ग्रन्थ और (५) स्नातक। ४. पुलाए णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तं जहा-नाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहुमपुलाए नामं पंचमे। [४ प्र.] भगवन् ! पुलाक कितने प्रकार के कहे हैं ? [४ उ.] गौतम ! पुलाक पांच प्रकार के कहे हैं । यथा-(१) ज्ञानपुलाक, (२) दर्शनपुलाक (३) चारित्रपुलाक, (४) लिंगपुलाक, (५) यक्षासूक्ष्मपुलाक। ५. बउसे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तं जहा—आभोगबउसे, अणाभोगबउसे संवुडबउसे असंवुडबउसे अहासुहुमबउसे नामं पंचमे। [५ प्र.] भगवन् ! बकुश कितने प्रकार के कहे हैं ? [५ उ.] गौतम ! वे पांच प्रकार के कहे हैं—(१) आभोगबकुश, (२) अनाभोगबकुश, (३. संवृतबकुश, (४) असंवृतबकुश और (५) यथासूक्ष्मबकुश। ६. कुसीले णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तं जहा—पडिसेवणाकुसीले य, कसायकुसीले य। [६ प्र.] भगवन् ! कुशील कितने प्रकार के कहे हैं ? [६ उ.] गौतम ! वे दो प्रकार के होते हैं । यथा—प्रतिसेवनाकुशील और कषायकुशील। ७. पडिसेवणाकुसीले णं भंते कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविधे पनत्ते, तं जहा-नाणपडिसेवणाकुसीले दसणपडिसेवणाकुसीले चरित्तपडिसेवणाकुसीले लिंगपडिसेवणाकुसीले अहासुहुमपडिसेवणाकुसीले णामं पंचमे। [७ प्र.] भगवन् ! प्रतिसेवनाकुशील कितने प्रकार के कहे हैं ? [७ उ.] गौतम ! प्रतिसेवनाकुशील पांच प्रकार के कहे गये हैं। यथा—(१) ज्ञानप्रतिसेवनाकुशील, (२) दर्शनप्रतिसेवनाकुशील, (३) चारित्रप्रतिसेवनाकुशील, (४) लिंगप्रतिसेवनाकुशील और (५) यथासूक्ष्मप्रतिसेवनाकुशील। ८. कसायकुसीले णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तं जहा-नाणकसायकुसीले दसणकसायकुसीले चरित्तकसायकुसीले लिंगकसायकुसीले, अहासुहुमकुसायकुसीले णामं पंचमे। [८ प्र.] भगवन् ! कषायकुशील कितने प्रकार के कहे हैं ?
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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