SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 504
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पच्चीसवाँ शतक : उद्देशक - ४] [ ३७३ निष्कम्पक अनन्त- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से अनन्तगुणे हैं, (३) उनसे देशकम्पक अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से अनन्तगुणे हैं, (४) उनसे सर्वकम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से अनन्तगुणे हैं, (५) उनसे सर्वकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं, (६) उनसे सर्वकम्पक परमाणु - पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं। (७) देशकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (८) उनसे निष्कम्पक असंख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (९) उनसे निष्कम्पक परमाणु-पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (१०) उनसे निष्कम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से संख्यातगुणे हैं और (११) उनसे निष्कम्पक असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशार्थरूप से — सबसे थोड़े (सर्वकम्पक) अनन्तप्रदेशी स्कन्ध हैं । इस प्रकार प्रदेशार्थ से भी (पूर्ववत्) अल्पबहुत्व जानना चाहिए। विशेष यह है कि परमाणु- पुद्गल के लिए 'अप्रदेशार्थ' कहना चाहिए तथा निष्कम्प संख्यात-प्रदेशी, स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुण है, यह कहना चाहिए शेष सब पूर्ववत् । द्रव्यार्थ - प्रदेशार्थरूप से - ( १ ) सर्वकम्पक अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से सबसे थोड़े हैं । (२) उनसे सर्वकम्पक अनन्त- प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से अनन्तगुणे हैं। (३) उनसे निष्कम्पक अनन्त- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से अनन्तगुणे हैं । (४) उनसे निष्कम्पक अनन्त - प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थं से अनन्तगुणे हैं । (५) उनसे देशकम्पक अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से अनन्तगुणे हैं । (६) उनसे देशकम्पक अनन्त- प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से अनन्तगुणे हैं, (७) उनसे सर्वकम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं। (८) उनसे सर्वकम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (९) उनसे सर्वकम्पक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (१०) उनसे सर्वकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (११) उनसे देशकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (१२) उनसे देशकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं । (१३) उनसे देशकम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं। (१४) उनसे देशकम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं। (१५) उनसे देशकम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं। (१६) उनसे निष्कम्पक परमाणु-पुद्गलद्रव्यार्थं-अप्रदेशार्थ रूप से असंख्यातगुणे हैं । (१७) उनसे निष्कम्पक संख्यात- प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से संख्यातगुणे हैं । (१८) उनसे निष्कम्पक संख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से संख्यातगुणे हैं। (१९) उनसे निष्कम्पक असंख्यात - प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से असंख्यातगुणे हैं और (२०) उनसे निष्कम्पक असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थ से असंख्यातगुणे हैं । विवेचन — परमाणु- पुद्गल आदि सभी के अल्पबहुत्व अधिकार में द्रव्यार्थ की विचारणा में परमाणु• पुद्गल के साथ सर्वकम्पक और निष्कम्पक ये दो विशेषण लगाये गए हैं, जबकि, संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी इन तीन स्कन्धों के साथ देशकम्पक, सर्वकम्पक और निष्कम्पक, ये तीन विशेषण प्रयुक्त किए गए हैं। इस प्रकार ये ११ पद होते हैं । प्रदेशार्थविषयक विचारणा में भी ये ही ११ पद होते हैं । किन्तु द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थं उभंय की विचारणा में बाईस पद न बताकर वीस ही पद बताये गए हैं। इसका कारण
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy